11 November 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---  ईश्वर  ने  हमें  जो  कुछ  दिया ,   जैसी  भी  परिस्थिति  है  , उसमें  कुछ  न  कुछ  अच्छाई  ढूंढकर   हम   संतोष  कर   सकते  हैं    वरना    असंतुष्ट  रहने  के  अनेकों  कारण  हैं  l  एक  कथा  है -------  सुंदरवन  में  एक  कौआ   रहता  था  l  उसने  पहले  कभी  बगुले  को  नहीं  देखा  था   l  बरसात  का  मौसम  आया  तो  दूर  देश  से  एक  बगुला  उड़कर  वन  में  आया  l  उसे  देखकर   कौए  को  बड़ा  दुःख  हुआ  l  उसे  लगा  कि  उसका  रंग  कितना  काला  है  ,  जबकि  बगुला  कितना  गोरा  है  l  उसने  जाकर  बगुले  से  कहा  --- - " बगुले  भाई  !  आप  तो  बहुत  गोरे  हो  ,  यह  देखकर  आपको  बहुत  सुख   मिलता  होगा  l  "  बगुला  बोला  ----- " अरे , मैं  तो  पहले  से  ही  दुखी  हूँ  ,,  जरा  तोते  को  देखो  , वो  कितने  सुन्दर  दो  रंगों  से  रंगा  है  l  मुझ  पर  तो  एक  ही  रंग  है  l  "  अब  दोनों  मिलकर  तोते  के  पास  गए    तो  तोता  बोला  --- " अरे , मैं  तो  तुम  दोनों  से  भी  ज्यादा  दु:खी  हूँ  ,  जरा  मोर  को  देखो  वो  कितने  सुन्दर  रंगों  से  रंगा  हुआ  है  l "  अब  सब  मिलकर  मोर  के  पास  पहुंचे   तो  देखा  कि  मोर  को  मारने   उसके  पीछे  शिकारी  लगा  हुआ  है  l  मोर  के  सुरक्षित  होने  पर  उन्होंने  मोर  से  अपनी  बात  कही   तो  मोर  बोला  --- " भाइयों  !  मेरा  तो  जीवन  मेरे  रंगों  के  कारण  असुरक्षित  हो  गया  है  l  ये  रंग  न  होते  तो    आज  मैं  भी  तुम  लोगों  की  तरह    चैन  की  बंसी  बजा  रहा  होता  l  " अब  सब  की  समझ  में  आया  कि  भगवान  ने   हर  प्राणी  को  मौलिक  बनाया  है  ,  सभी  में  कोई -न-कोई  खासियत  है   और  हमें  उसी  को  निखारने  की  जरुरत  है  l 

WISDOM ---

   फूलों  से  लदे  गुलाब  के  पौधे  को  चिंतामग्न  देखकर   पास  में  उगे   आम  के  पौधे  ने  उससे  इसका  कारण  पूछा  l  गुलाब  ने  कहा --- " आज  तो  मैं  फूलों  से  लदा  हूँ  ,  पर  वह  पतझड़  दूर  नहीं  ,  जब  मुझ  पर  एक  भी  पत्ता  शेष  न  होगा  l  आज  जो  मेरे  सौन्दर्य  की  प्रशंसा  करते  थकते  नहीं  ,  कल  वे  मेरी  ओर  देखेंगे  भी  नहीं  l  क्या  यह  कम  चिंता  की  बात  है  ? "  इतना  कहकर  गुलाब  के  पौधे  ने   हताशा  से  सिर  झुका  लिया  l   आम  का  पौधा  बोला  --- " मित्र  !  कल  के  पतझड़  की  चिंता  करने  के  बजाय   तुम  उसके  बाद  पुन:  लौटने  वाले   वसंत  के  विषय  में  क्यों  नहीं  सोचते  l  मुझे  देखो  , अभी  मुझे  वृक्ष  बनने  में  वर्षों  लगेंगे,  पर  मैं  उसी  आशा  में  निरंतर  मुदित  बना  रहता  हूँ  l "    हमारी  सोच  सकारात्मक  हो  l  हर  रात  के  बाद  सुबह  अवश्य  होती  है  l