13 April 2018

WISDOM ---- स्वतंत्रता और जागरूकता

  युगों  की  गुलामी  के  बाद  हम  आजाद  हो  गए ,  स्वतंत्र  हो  गए  l   अपने  ऊपर  हुए  जुल्मों  के  लिए  सदा   दूसरों  को  ही  दोष  दिया  ,  अपने  भीतर  नहीं  झाँका ,  अपनी  कमियों  को   नहीं  देखा  l   युगों  से  नारी  पर  अत्याचार  हुए ---- सती - प्रथा --- पति  की  मृत्यु  के  बाद   पत्नी  को  पति  के  साथ   जीवित  जला  दिया  जाता  था  l   बाल - विधवा --- पति  को  देखा  ही  नहीं  और  उसकी  मृत्यु  होने  पर  विधवा  हो  गई  ,  फिर  जिन्दगी  भर  समाज  के  जुल्म  सहे  l 
   अब  इस   आधुनिक   युग  में   कन्या - भ्रूण - हत्या ,   दहेज  के  लिए  हत्या ,  घरेलू हिंसा ,  विभिन्न  कार्यालयों  में  महिला - उत्पीड़न  l  इन  सबसे  भी  जी  नहीं  भरा   तो   छोटी - छोटी   नादान  बच्चियों  पर  जुल्म   l  यह  सब  अत्याचार     किसी  विदेशी  ने  नहीं  किए  l    अपने  ही  लोगों  ने  सताया  है   l 
           स्वतंत्रता  का  दुरूपयोग  न  हो  इसके  लिए  हमें  जागरूक  होने  की  जरुरत  है   l  हर  अपराध  की  शुरुआत  परिवार  से  होती  है  l  चोर , जुआरी ,  शराबी  पैसों  की  जरुरत  होने  पर  सबसे  पहले  अपने  घर  में  ही  चोरी  करते  है ,  फिर  मित्रों  व  रिश्तेदारों   के  यहाँ   चोरी  करते  हैं ,  अपने  हुनर  में  माहिर  हो  जाने  पर  वे  समाज  में  बड़े   स्तर  पर  चोरी - डकैती  करते  हैं   l  इसी  तरह  बड़े - बड़े  अपराधी , दुष्कर्मी   सभी  अपने  अपराध  की  शुरुआत  परिवार  से  ही  करते  हैं   l  लालच , वासना , क्रोध  में  आदमी  अँधा  हो  जाता  है ,  अपने  पराये  का  भेद  भूल  जाता  है   l  परिवार  के  लोग  समाज  में  अपनी  इज्जत  को  बचाए  रखने  के  लिए  चुप  रहते  हैं  ,  उनकी  यही  चुप्पी ,  उनकी  उदासीनता   ऐसे  अपराधी  को   बढ़ावा  देती  है  l
     अपने  स्वार्थ ,  लालच  आदि  अनेक  कारणों  से   जब  लोग  किसी  अपराधी  का  समर्थन  करते  हैं ,  उसे  संरक्षण  देते  हैं   तो  इसका  अर्थ  है  कि  वे  उसके  द्वारा  किये  जाने  वाले  अपराध  का  समर्थन  कर  रहे  हैं ,  उसकी  दुष्प्रवृति  को  बढ़ावा  दे  रहे  हैं   l  आज  के  समय  में  हर  व्यक्ति  स्वतंत्र  है ,  अपने  मन  से  काम  करने  के  लिए  अपने  ढंग  से  जीने  के  लिए  l   लेकिन  हमें  जागरूक  होना  होगा   क्योंकि  अपनों  को  लूटना   ज्यादा  आसान  होता  है  , हर  अपराधी  यह  सरल  काम  पहले  करता  है  l  बस,  उसके  तरीके ,  उसका  रूप  अलग  हो  सकता  है -- कभी  धोखा  देकर ,  कभी  स्वयं  को  बहुत  अच्छा  दिखाकर ,  कभी  स्वयं  परदे  की  आड़  में  रहकर  दूसरों  को  माध्यम  से  अपने  ही  मित्रों , सगे - संबंधी   को   लूटना  l  ईर्ष्या - द्वेष ,  लालच, कामना  - वासना   ऐसे   दुर्गुण  हैं  जिनके  वशीभूत  होकर   व्यक्ति  अपने  हितैषी  का  भी  अहित  करने  से  नहीं  चूकता  l