28 October 2020

WISDOM -----

   हकीम   अजमल खाँ  जाने - माने   चिकित्सक  होने  के  अतिरिक्त   प्रसिद्ध   स्वतंत्रता  सेनानी  भी  थे  l   एक  बार  वे  किसी  रजवाड़े  में  बीमार  नवाब  को  देखने  गए  l   नवाब  और  बेगम  शाही  लिबास  पहने  बैठे  थे  l   जब  अजमल  खां   उन्हें  देखकर  चलने  लगे    तो  नवाब  साहब  ने  उनसे  उनका  मेहनताना  पूछा   l   हकीम   साहब  ने  उत्तर  दिया  --- " बुरा  न  माने  नवाब  साहब   तो  मेरा  मेहनताना  सिर्फ  इतना  होगा   कि   आप  लोग  खादी   धारण  कर  लें  l   जब  देश  का  एक  आम  आदमी   तन  ढंकने  के  लिए   चंद   कपड़े   नहीं  जुटा  पाता  तो  ऐसे  में   रत्नजड़ित  पोशाकों  को  पहनना   आपको  शोभा  नहीं  देगा  l "  बेगम  साहिबा  बोलीं ---- " पर  हकीम   साहब  !  खादी   खुरदरी  बहुत  है  ,  पहनने  में  जरा  तकलीफ  होती  है   l "  हकीम   अजमल  खां   बोले --- "  बेगम  साहिबा   !   अपनी  माँ  बदसूरत  हो  तो  भी  माँ   तो  अपनी  ही  है  l   कपड़े   खुरदरे   ही  सही   पर  स्वदेशी  तो  हैं   l  "   अजमल  खां   की  बात  से  प्रभावित  होकर   नवाब  साहब   और  उनकी  बेगम  ने   आजादी  के  आंदोलन  में  भाग  लेना  प्रारंभ   कर  दिया   l