16 February 2022

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " बुद्धि  एक  महान  ईश्वरीय  विभूति  है  ,  इस  विभूति  का  सदुपयोग  जरुरी  है   l   वे  कहते  हैं  ----'  हम  उत्कृष्ट  बुद्धिवादी  बने   l    परम्परागत  बुद्धिवाद   छोटे - मोटे    भेद , रूढ़िग्रस्त  धार्मिकता  के  कारण  ही   भयानक  नर - संहार करता  है ,  लोगों  को  तलवार  के  घाट   उतार  देता  है    लेकिन   उत्कृष्ट  बुद्धिवादी   विकास  पथ  का  यात्री  है     ,  वह  घोषणा  करता  है  कि   विश्व  में  शांति  का  मार्ग   भेद  फ़ैलाने  में  नहीं  ,--  मेल  कराने  में  है   l लाखों  वर्षों  से  हम  सब  एक  दूसरे  के  दोष  देखते  रहे  ,  भेदों   को  बढ़ाते  रहे , द्वेष  को  फैलाते   रहे   l   हमने  कभी  भी  यह  नहीं  सोचा   कि   हम में  समता  अधिक  बातों  में  है   और  भेद  कम  विषयों  में  है  l  किन्तु  हम  भेदों   पर  ही  जोर  देते  रहे  l   विभिन्न  धर्मों  में  आपस  में  समानताएं  बहुत  हैं ,   भेद  जरा  सा  है   l   किन्तु  इन  नगण्य  से  भेदों   के  कारण  ही  भयंकर   खून - खराबा  हुआ   l  उत्कृष्ट  बुद्धिवादी  कहता  है    भेद  को  दूर  भगाइये   और  परस्पर  मेल  के  प्रसंग  तलाश  करिए   और  उन  पर  मिलकर  काम  कीजिए   l  नवीन   युग  की   नवीन   समस्याएं  हैं  ,  उनका  हल  भी   नए  ढंग  से  सोचना  चाहिए   l   उत्कृष्ट  बुद्धिवादी   संत  सुकरात  और  महान  वैज्ञानिक  सर  आइजक  न्यूटन  की  तरह    अपना  हृदय   प्रकाश  के  लिए  सदा  खुला  रखता   है   l   उनमे  अहंकार  नहीं  था   l   एक  व्यक्ति  ने   महान  वैज्ञानिक  सर  आइजक  न्यूटन  से   कहा ----- " लगता  है  आपने  तो  पूर्ण  ज्ञान  प्राप्त  कर  लिया  है   l  "  तब   उन्होंने  उत्तर  दिया ---- " मेरे  सामने  ज्ञान  का  अथाह  समुद्र  फैला  हुआ  है  ,  जिसके  किनारे  बैठकर   कुछ  ही  घोंघे  और  सीपियाँ   उठा  पाया  हूँ   l  "  ऐसे  विनयशील  स्वभाव   के   उत्कृष्ट  बुद्धिवादी   अपने  पीछे  आने  वाले    हर  यात्री  के  प्रति  सहानुभूति   रखता है   l   न  उस  पर  रौब  दिखाता   है   और  न  अपना  अहंकार  प्रकट  करता  है   l  "    आज  इस  बात  पर  चिंतन - मनन   करना  जरुरी  है   कि   हमने  इतनी  वैज्ञानिक  प्रगति  विकास  के  लिए  की  है   या  मानवता  के  विनाश  के  लिए   ?