29 August 2021

WISDOM ----- मूर्ख के साथ मित्रता दुखदायी होती है

      वाराणसी  के  शासक  ब्रह्मदत्त  का   राजोद्यान  देश - देशांतर   के  दुर्लभ  एवं  सुन्दर  वृक्षों , लताओं  का  संग्रह  था     बोधिसत्त्व   उसी  उद्यान  में  सपरिषद   विश्राम  कर  रहे  थे   l   उस  दिन  नगर  में  एक  भव्य  उत्सव  आयोजित  था   l    बाग़    के  मालिक  को  उत्सव  देखने  की  लालसा  थी  l  उद्यान  में  बंदरों  का  एक  समूह  था  l   बंदरों  के  नायक  से    माली  की  मैत्री  थी  l  उसने  नायक  बन्दर  को  बुलाकर  कहा  --- " मित्र  !   एक  दिन  तुम  अपने  समूह  के  साथ   मिलकर  उद्यान  सींच  दो    तो  मैं  उत्सव  देख  आऊं   l  "  बन्दर  ने  प्रसन्नता  से   कार्य  करने  का  वचन  दिया   l   माली  चला  गया  तो  नायक  ने  बंदरों  से  कहा  ---" मित्रों  , हमें  विवेकपूर्ण  सिंचन  करना  चाहिए  , अन्यथा  जल  का  अभाव   हो  जायेगा  ,   तुम   लोग  पहले  लताओं  को  उखाड़कर    उनकी  जड़ों  की  गहराई  देख  लो   l   जो  जड़  जितनी  गहरी  हो  ,  उसके  अनुसार  ही  सिंचन  करो  l  '  बंदरों  ने  शीघ्र  ही  लताएं  उखाड़  डालीं   l   माली  जब  वापस  आया    तो  उसने  सिर   पीट  लिया   और  समझ  गया   कि   मुर्ख  से  दोस्ती   कितनी  हानिकारक  है  l     ऐसी  ही   एक  लघु  कथा  है  ----- एक  राजा  ने  बन्दर  से  दोस्ती  की  l   राजा  जब  दोपहर  को  कुछ  देर  सोता  था  तब  वह  बन्दर  उसे  पंखा    झलता    था   l   एक  दिन  राजा  को  गहरी  नींद   आ  गई  l   बन्दर  पंखा  झलने  लगा  l  अचानक  राजा  की  नाक  पर  एक  मक्खी  आकर  बैठ  गई  l   बन्दर  पंखा  झलकर  मक्खी  को  भगाने   की  कोशिश  करने  लगा   l   मक्खी  बार - बार  उड़ती  और  फिर  राजा   की  नाक  पर  बैठ  जाती  l   बन्दर  को  बहुत  गुस्सा  आई   l      वहीँ  पास  में  राजा  की  तलवार  रखी   थी  , उसने  वह  तलवार  उठा  ली  और   मन  ही  मन  कहने  लगा  , -बैठने  दो  , मक्खी  को  ,  अब  मैं  देखूंगा   l    जैसे  ही  मक्खी  राजा  की  नाक   पर  बैठी  बन्दर  ने  तलवार  से  वार  किया  ,  मक्खी  तो  उड़  गई  ,  [पर  राजा  लहूलुहान  हो  गया  l   इस  कथा  से  हमें  यही  शिक्षा  मिलती  है  कि   कभी    भी    किसी    मूर्ख    से  मित्रता  नहीं  करनी  चाहिए   l