पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " जो अपनी हर कोशिश से , अपने हर प्रयास से कुछ न कुछ सीखता है , वही सकारात्मक होता है और अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ता है l " दंतकथाओं के अनुसार ------ फीनिक्स पक्षी अपने जीवन चक्र के अंत में खुद के इर्द -गिर्द लकड़ियों और टहनियों का घोंसला बनाकर उसमें जल जाता है l फिर उसी राख से एक नए फीनिक्स का जन्म होता है l कभी - कभी ईश्वर की कृपा से किसी मनुष्य के जीवन में भी यह सत्य घटित होता है l अमेरिका के महान वैज्ञानिक थामस अल्वा एडिसन के जीवन का प्रसंग है l वर्ष 1914 के आखिरी महीने के दिन थे , एक रात उनकी विशाल फैक्टरी में आग लग गई l आग की उन तेज लपटों में एडिसन अपनी जिंदगी की पूरी कमाई और अपने वर्षों के काम को राख में तब्दील होते हुए देख रहे थे l अपने बेटे पर नजर पड़ते ही एडिसन ने चिल्लाकर उससे कहा ---- " चार्ल्स अपनी माँ को बुलाकर लाओ l वो अपनी जिंदगी में इस तरह का दृश्य दोबारा कभी नहीं देख पाएंगी l " सुबह होते - होते एडिसन के सारे सपने और उनसे जुडी आशाएं राख हो चुके थे , लेकिन एडिसन राख के उस ढेर में से फीनिक्स पक्षी की भांति एक नए रूप में बाहर आए l विनाश को देखने के लिए वहां एकत्रित भीड़ में एडिसन ने पूरे जोश और होश के साथ यह घोषणा की कि ----- " विध्वंस के बाद हानि नहीं , लाभ होता है l हमारी सारी गलतियां इस आग में जलकर राख हो गईं l ईश्वर को धन्यवाद कि इसके कारण हम दोबारा नई शुरुआत कर सकते हैं l "