8 January 2019

WISDOM --- परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों , हम स्वयं पर नियंत्रण न खोएं

हमारे   धर्म  ग्रन्थ  हमें  जीवन  जीना  सिखाते  हैं  l  श्रीरामचरितमानस  में    प्रसंग  है  --- महारानी  कैकेयी  ने  राजा  दशरथ  से  दो  वर  मांगे ---- राम  को  वनवास  और  भारत  को  राजगद्दी  l    तुलसीदासजी  कहते  हैं   कि  उन  दिनों  अयोध्या  में  सब  तरफ  भरत  और  कैकेयी  का  अपयश  फैला  था  l  भरत  को  कलंक  मिला ,  लोक निंदा  मिली   l  उसी  समय  पिता दशरथ  का  स्वर्गवास  हो  गया  था   l  परिस्थितियां  प्रतिकूल  थी   l  उस  अपयश  के   बीच  में  स्थिर  रहना  ,  अपने  क्रोध  पर  ,  क्षोभ  पर   नियंत्रण  बनाये  रखना    बड़ा  कठिन  था   l लेकिन  भरत  ने  आत्म नियंत्रण  नहीं  खोया   ,  न  ही  किसी  से  बैर  निभाने  की  सोची  l   ऐसी  परिस्थिति में  शांत  रहे  l 
    भरतजी  जब  राम  को  मनाने  चित्रकूट  जा  रहे  थे   तो   कोल - भीलों    ने  श्रीराम  को  खबर  दी  --- महाराज  !  ऐसा  लगता  है  कि  कोई  बड़ी  सेना  इधर  बढ़ती  चली   l  लोग  कहते  हैं   कि  अयोध्या  की   सेना  है   l  लक्ष्मण   युद्ध     की  तैयारी    करने  लगे   l  भरत   को   यह    सूचना   मिली  कि  लक्ष्मणजी  धनुष  बाण  लेकर  उन्हें   मारने  आ  रहे  हैं  ,  तब  भी  वे  विचलित  नहीं     हुए  , उनका  विवेक   डिगा  नहीं  l
  भरतजी  में   लालच , अहंकार  नहीं  था  l  राजगद्दी  उन्हें  मिल  रही  थी   ,  उनका  अपनी  कामनाओं  पर  नियंत्रण  था   l  l   उनका  चरित्र  प्रेरणादायक  है   l