21 July 2019

WISDOM ----- अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करना प्रत्येक धर्मशील व्यक्ति का न्यायोचित कर्तव्य है

 लोग  तो  मनुष्य  योनि  पाकर  भी  अधम  कार्य  करते  हैं  एवं  अपना  इस  धरती  पर  आना  कलंकित  करते  हैं   l  गिद्ध  की  योनि  में  जन्म  लेकर  भी  धर्मात्मा  जटायु  ने   अत्याचार  व  अन्याय  के  विरुद्ध  रावण  से  संघर्ष  किया  और  अपने  जीवन  को  सार्थक  किया  l  
  रावण   आकाश  मार्ग  से  सीता  माँ का  छल  पूर्वक  हरण  कर   ले  जा  रहा  था  l पक्षीराज  जटायु  ने  सीता  का  करुण  क्रंदन  सुना  तो  ध्यान  से  उठकर  गुफा  से  बाहर  आये  और  ध्वनि  को  लक्ष्य  कर  उड़ान  भरी  l  लंका  के  राजा  रावण  को   बलात  हरण  करते  उन्होंने  पहचान  लिया  और  पुष्पक  विमान  के  आगे  जाकर  प्रतिरोध  में   उन  ने  टक्कर  मारी   l  रावण  ने  देखा  कि  विमान  की  गति   कैसे   रुक  गई   l  फिर  जटायु  को  पहचानते  हुए  उसने  खड्ग  निकाल  लिया  l  नि:शस्त्र  जटायु  ने  बड़ी  वीरता  से  रावण  से  युद्ध  किया  ,  फिर  पंख  कट  जाने  से   पृथ्वी  पर  आ  गिरे  l  रावण  ने  अट्टहास  किया   तो  जटायु  ने  उत्तर  दिया  --- " पापी  ! परोपकार  में  प्राण  देकर  मुझे  तो  सद्गति  मिलेगी  ,  पर  तेरा  सर्वनाश  अब  निश्चित  है  l "
भगवान  राम  ने  जब  घायल  जटायु  को  देखा  तो  अपनी  गोद  में  लिया  , जटायु  ने  भगवन  की  गोद  में  ही  अपने  प्राण  त्यागे  l  सत्कर्मों  के  कारण  गिद्ध  होते  हुए  भी  जटायु  ने   देवपद  पाया  l