लोग तो मनुष्य योनि पाकर भी अधम कार्य करते हैं एवं अपना इस धरती पर आना कलंकित करते हैं l गिद्ध की योनि में जन्म लेकर भी धर्मात्मा जटायु ने अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध रावण से संघर्ष किया और अपने जीवन को सार्थक किया l
रावण आकाश मार्ग से सीता माँ का छल पूर्वक हरण कर ले जा रहा था l पक्षीराज जटायु ने सीता का करुण क्रंदन सुना तो ध्यान से उठकर गुफा से बाहर आये और ध्वनि को लक्ष्य कर उड़ान भरी l लंका के राजा रावण को बलात हरण करते उन्होंने पहचान लिया और पुष्पक विमान के आगे जाकर प्रतिरोध में उन ने टक्कर मारी l रावण ने देखा कि विमान की गति कैसे रुक गई l फिर जटायु को पहचानते हुए उसने खड्ग निकाल लिया l नि:शस्त्र जटायु ने बड़ी वीरता से रावण से युद्ध किया , फिर पंख कट जाने से पृथ्वी पर आ गिरे l रावण ने अट्टहास किया तो जटायु ने उत्तर दिया --- " पापी ! परोपकार में प्राण देकर मुझे तो सद्गति मिलेगी , पर तेरा सर्वनाश अब निश्चित है l "
भगवान राम ने जब घायल जटायु को देखा तो अपनी गोद में लिया , जटायु ने भगवन की गोद में ही अपने प्राण त्यागे l सत्कर्मों के कारण गिद्ध होते हुए भी जटायु ने देवपद पाया l
रावण आकाश मार्ग से सीता माँ का छल पूर्वक हरण कर ले जा रहा था l पक्षीराज जटायु ने सीता का करुण क्रंदन सुना तो ध्यान से उठकर गुफा से बाहर आये और ध्वनि को लक्ष्य कर उड़ान भरी l लंका के राजा रावण को बलात हरण करते उन्होंने पहचान लिया और पुष्पक विमान के आगे जाकर प्रतिरोध में उन ने टक्कर मारी l रावण ने देखा कि विमान की गति कैसे रुक गई l फिर जटायु को पहचानते हुए उसने खड्ग निकाल लिया l नि:शस्त्र जटायु ने बड़ी वीरता से रावण से युद्ध किया , फिर पंख कट जाने से पृथ्वी पर आ गिरे l रावण ने अट्टहास किया तो जटायु ने उत्तर दिया --- " पापी ! परोपकार में प्राण देकर मुझे तो सद्गति मिलेगी , पर तेरा सर्वनाश अब निश्चित है l "
भगवान राम ने जब घायल जटायु को देखा तो अपनी गोद में लिया , जटायु ने भगवन की गोद में ही अपने प्राण त्यागे l सत्कर्मों के कारण गिद्ध होते हुए भी जटायु ने देवपद पाया l