27 February 2024

WISDOM

   लघु -कथा ----- 1 . एक  दिन  पंडित जी  की  कथा  सुनने  एक  डाकू  भी  आया  l  पंडित जी  समझा  रहे  थे  ' क्षमा  और  अहिंसा '   मनुष्य  के  आभूषण  हैं   l  इनका  परित्याग  नहीं  करना  चाहिए  l  कथा  समाप्त  हुई  l पंडित जी  दान -दक्षिणा  लेकर  गाँव  की  ओर  चल  पड़े  l  बीच  में  जंगल  पड़ता  था  l  जंगल  में  पहुँचते  ही  डाकू  आ  धमका   और  पंडित जी  को  सारा  धन  रख  देने  को  कहा  l  पंडित जी  निडर  थे  , पास  में  लाठी  थी  , उसे  लेकर  डाकू  को  मारने  दौड़े  l  अचानक  प्रहार  से  डाकू  घबरा  गया   और  विनय पूर्वक  बोला ---" महाराज  आप  तो  कह  रहे  थे  ' क्षमा  और  अहिंसा '  मनुष्य  के  भूषण  हैं  , इन्हें  नहीं  त्यागना  चाहिए  l " पंडित जी  बोले  --- " वह  तो  सज्जनों  के  लिए  था  , तेरे  जैसे  दुष्टों  के  लिए   यह  लाठी  ही  उपयुक्त  है  l "  पंडित जी  का  रौद्र  रूप  देखकर   डाकू  वहां  से  भाग  गया  l  

2 .   एक  लकड़हारा   अपनी  योग्यता  के  कारण  राजा  का  दोस्त  बना   और  एक  दिन  वह   राज्य मंत्री  के  पद  पर  जा  पहुंचा  l  रिश्वत  लेने  वाले  भ्रष्ट  कर्मचारी  उससे  ईर्ष्या  करते  थे  और  राजा  से  उसकी  शिकायत  करते  थे  l  किसी  ने  कहा  कि  उसके  पास  बहुत  सा  धन  उसके  एक  बक्से  में  है  l  इस शिकायत  के  आधार  पर  राजा  ने  उससे  वह  संदूक   दिखाने  को  कहा  l   राजा   के  आदेश    से  वह  संदूक  खोला  गया   तो  उसमें  थोड़े   से  मैले -कुचैले   वस्त्र  रखे  थे  l  राजा  ने  पूछा  --- 'यह  क्या  है  ? मंत्री  ने  कहा ---- 'महाराज  !   ये  वह  कपड़े  हैं  जिन्हें  मैं  आपकी  मित्रता  से  पहले  पहना  करता  था   l  इन्हें  सुरक्षित  इसलिए  रखा  है   ताकि  मुझे  अपनी   पूर्व    स्थिति  याद  रहे  ,  कभी  अहंकार  न  आए   और  कभी  किसी  तरह  का  अन्याय  मुझसे  न  हो  l  ईश्वर  की  कृपा  से  ही   मुझे  आपकी  मित्रता  और  यह  पद  मिला  ,  अपनी  पूर्व  स्थिति  को  याद  रख  मैं  इसका  सदुपयोग  करूँ  l