21 November 2021

WISDOM --------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- ' मनुष्य  शरीर  होने  के  नाते  गलतियाँ  सभी  से  होती  हैं  l  जो  उन्हें  छुपाते  हैं   वे  गिरते  चले  जाते  हैं   पर  जो  बुराइयों  को  स्वीकार  करते  हैं   उनकी  आत्महीनता  तिरोहित  हो  जाती  है   l यदि  लोग  अपने  दोषों  का  चिंतन  किया  करें,  उन्हें  स्वीकार  कर  लिया  करें   और  उनका  दंड  भी  उसी  साहस  के  साथ  भुगत  लिया  करें  तो  व्यक्ति  की  आत्मा  में   इतना  बल   है  कि  और  कोई  साधन - सम्पन्नता  न   होने  पर  भी  वह  संतुष्ट  जीवन   जी  सकता  है  l