28 September 2023

WISDOM -----

   इस  संसार  में   यदि  कोई   घटना  युगों  से  उसी  रूप  में  चली  आ  रही  है  , पात्र  बदल  जाते  हैं  लेकिन  घटना  वही  होती  है    तो  वह  घटना  है  -----  जो  व्यक्ति  ईश्वर  के  प्रति  समर्पित  है  , सत्य  के  मार्ग  पर  चलता  है   उसे  अहंकारी  , दुष्ट  आत्माएं   बदनाम  करने  में  ,  चारों  ओर  उसकी  बुराई  करने  में  कोई  कोर -कसर  बाकी  नहीं  रखती  l  इसके  पीछे  का  एक  सत्य  यह  भी  है  कि  वे  ऐसा  कर  के   अनजाने  में   उन्हें  अमर  कर  देती  हैं   l  संसार  उनके  जाने  के  बाद  उन्हें  पूजने  लगता  है  l    ईसा  को  सूली  पर  चढ़ा  दिया , मीरा  को  जहर  दे  दिया  l  भगवान  बुद्ध  को  भी  नहीं  छोड़ा   l   वे  सब   अमर  हो  गए ,  उनके  अनुयायियों  की  कमी  नहीं  है l  स्वामी  विवेकानंद  को  बदनाम  करने  की  बहुत  कोशिश  की  लेकिन  वे  आज  हर  युवा  के  आदर्श  हैं l  सत्य , अहिंसा  के  पुजारी  गांधीजी  को  गोली  मार  दी  l  ऐसा  कर  के  क्या  मिला  ?  सारा  संसार  भारत  को  गाँधी  के  देश  के  नाम  से  जानता  है  l  वास्तव  में  आसुरी  प्रवृत्ति  के  व्यक्ति  दया  के  पात्र  है  ,  मनुष्य  का  जन्म  बहुत  पुण्यों  के  बाद  मिलता  है   और  वे  लोग  इस  जीवन  को     सत्य  और  देवत्व  को  मिटाने  में  गँवा  देते  हैं  और  अंत  में  स्वयं  बेनाम  मिट  जाते  हैं  l  आज  जरुरी  है  कि  हम  अपने  लिए  सद्बुद्धि  की  प्रार्थना  करने  के  साथ   आसुरी  लोगों  के  लिए  भी  सद्बुद्धि  की  प्रार्थना  करें  ताकि  संसार  में  सुख -शांति  हो  ,  लोग   तनाव  रहित  सुख -चैन  की  नींद  ले  सकें  l --------एक  बार  कबीरदास जी  सत्संग  में  लीन   थे  l  उनके  विरोधियों  ने  उन्हें  बदनाम  करने  के  लियेलिये  नगर  की  नर्तकी  को  उनके  पास  भेज  दिया  l  उसे  कुछ  धन  भी  दिया  ,  ताकि  वह  कबीरदास जी  के  चरित्र  पर  मिथ्या  आरोप  लगा  सके  l  नर्तकी  सत्संग  में  पहुंचकर  बोली ---- " यह  साधु  ढोंगी  है  l  इसने  मुझे  विवाह  का  वचन  दिया  था  , अब  मुकर  रहा  है  l "  यह  सुनकर  सभी  उपस्थित  लोग  कबीरदास जी  की  ओर  प्रश्नवाचक  मुद्रा  में  देखने  लगे  l  कबीरदास  जी  अपने  स्थान  से  उठे  और  बोले  --- "  भाइयों  !  इसे  न्याय  तो  देना  ही  होगा  l  आप  लोग  घर  जाइए  , अब  सत्संग  नहीं  होगा  l "  सबके  चले  जाने  के  बाद   कबीरदास जी  नर्तकी  से  बोले --- "  तुमने  बहुत  अच्छा  किया  , जो  यहाँ  चली  आईं  l  मेरे  पास  हर  समय  भीड़  बनी  रहती  है  ,  जिसके  कारण  भगवान  के  भजन  का  समय  ही  नहीं  मिल  पाता  l  तुमने  सारी  भीड़  भगा  दी  l  अब  मैं  आराम   से  बैठकर   भगवान  का  भजन  करूँगा  l  तुम  भी  साथ  में  भजन  करो  l "  नर्तकी  को  कबीरदास जी  से  ऐसे  व्यवहार  की  उम्मीद  नहीं  थी  , वह  बहुत  शर्मिंदा  हुई  और  तुरंत  बाहर  आकर  लोगों  से  क्षमा  मांगी   और  कहा  कि  संत  कबीर  के  कुछ  विरोधियों  ने   उसे  धन  देकर  ऐसा  करने  को  कहा  था  l  कबीरदास जी  तो  परम  संत  हैं  l  इस  घटना  के  बाद  नर्तकी  का  ह्रदय परिवर्तन  हो  गया  l