2 June 2022

WISDOM ----

   लघु -कथा -----   बुरी  संगति   से   जीवन  कैसे  पतन  के  गर्त  में  चला  जाता  है , इस  सत्य  को  बताने  वाली  एक  कथा  है  ----  एक  चित्रकार  ने  एक   अति  सुंदर   बालक  का  चित्र  बनाया  l  चित्र  बहुत  ही  सुंदर  बना,  उसकी  लाखों  प्रतियाँ  बिक  गईं  l   वर्षों  बाद    चित्रकार    को  सूझा  कि   वह  एक  अत्यंत   दुष्ट  और  भयानक  अपराधी  का  चित्र  बनाए  जिसको  देखकर  ही  मन  में  घ्रणा  का  भाव  आ  जाए  l  इसके  लिए  वह  कारागार   और  दुराचारियों  के  आवास  स्थान  आदि  ठिकानों  पर  गया  l  कारागार  में  उसे  एक  भयानक  आकृति  का   खूंखार  कैदी  मिला  l  उसने  उससे  कहा --- ' मैं  तुम्हारा  चित्र  बनाना  चाहता  हूँ   l  "  कैदी  ने  पूछा --- 'क्यों  ? '  तब  चित्रकार  ने  उसे  अपना  विचार  बताते  हुए   उसे  बालक  का  चित्र  दिखाया   l  कैदी  उस  चित्र  को  देखकर  रोने  लगा    और  बोला  --- '  यह  चित्र  मेरा  ही  है , यह  सुंदर , सौम्य  बालक  मैं  ही  हूँ  l  '  चित्रकार  हतप्रभ  रह  गया    और  कहने  लगा ---- यह  परिवर्तन  कैसे  हो  गया  ? '  कैदी   की  आँखों  से  आंसू  थम  नहीं  रहे  थे  ,  वह   रुँधे  गले  से  बोला ---- बुरी  संगति  से  मैं  अपने  जीवन  की  राह  भटक  गया   और  दुष्प्रवृतियों   में  फंस  जाने  के  कारण  मेरी  यह  दुर्गति  हो  गई  l  '  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- जब  जागो  तब  सवेरा ,  कुछ  पतन  के  गर्त  में  जाकर  भी   महामानवों  का  अवलंबन  लेकर , श्रेष्ठ  साहित्य  के  अध्ययन  से  अपने  को  सुधार  लेते  हैं   और  मँझधार  में  फँसी  अपनी  नाव   को  खे  ले  जाते  हैं  l  स्वयं  को  सुधारने  का  संकल्प  जरुरी  है  l  '

WISDOM -------

  लघु -कथा -----  सत्य  की  राह  बहुत  कठिन  है , सच्चाई  की  राह  पर  चलना  तलवार  की  धार  पर  चलने  के   समान  है  ,  लेकिन  इस  राह  पर  शांति  है , कोई  तनाव  नहीं  l  बुराई  की  राह  पर  चलना  बहुत  आसान  है  ,  इसमें  तुरंत  लाभ  मिलता  है   लेकिन  ये  बुराइयाँ , दुष्प्रवृत्तियां , व्यसन   जिन्हें  लोग  एक  बार  पकड़ते  हैं,  वे  कुछ  ही  दिन  में  उन्हें  अपने  शिकंजे  में   जकड़  लेती  है   और  प्राण  लेकर  ही  छोड़ती  हैं   l ---------  नदी  में  रीछ  बहता  जा  रहा  था  l  किनारे  पर  खड़े  साधु  ने  समझा  कि   यह  कम्बल  बहता  आ  रहा  है  l  निकालने  के  लिए  वह  तैरकर   उस  तक  पहुंचा   और  पकड़कर   किनारे  की  तरफ  खींचने  लगा   l         रीछ  जीवित  था  , प्रवाह  में  बहता  चला  आया  था  l   उसने   साधु  को  जकड़  कर  पकड़  लिया   ताकि  वह  उस  पर  सवार  होकर   पार  निकल  सके   l   दोनों  एक  दूसरे  के  साथ  गुत्थमगुत्था  कर  रहे  थे  l   कोई  नीचे  कोई  ऊपर  l   किनारे  पर  खड़े  दूसरे  साधु  ने  उसे  पुकारा   और  कहा --- कम्बल  हाथ  नहीं  आता  तो  उसे  छोड़  दो  और  वापस  लौट  आओ  l '  जवाब  में  उस  फंसे  हुए  साधु  ने  कहा  --- मैं  तो  कम्बल  छोड़ना  चाहता  हूँ   पर  उसने  तो  मुझे  ऐसा  जकड़  लिया  है   कि  छूटने  की  कोई  तरकीब  नहीं  सूझती ,   ऐसा  लगता  है  ये  मेरे  प्राण  ही  ले  लेगा  l  '  व्यसन  ऐसे  ही  होते  हैं , छोड़ने  पर  भी  नहीं  छूटते  l