पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " महानता हर किसी व्यक्ति के अंदर नहीं होती , लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है l महानता को हासिल करने के लिए यह जरुरी है कि हमें अपनी उन भूलों पर लगाम कसनी होगी , जो आत्मविकास में बाधक हैं l महानता की राह पर चलने वाले व्यक्ति अन्याय और शोषण को सहते नहीं हैं , बल्कि उसके विरुद्ध लड़ते हैं l उनमे संवेदना होती है इस कारण वे दूसरों के सुख - दुःख को अपना सुख - दुःख मानते हैं l " पुराणों में महापुरुषों के विशिष्ट गुणों का उल्लेख है जैसे --- जो कर्मनिष्ठ हैं , ईर्ष्या , डाह , निंदा , आलोचना से दूर रहते हैं l सम्पूर्ण मानव जाति के प्रति सद्व्यवहार करते हैं , किसी को हीन नहीं समझते हैं l विपत्ति में धैर्य , उत्कर्ष में विनम्रता , सत्यवादिता , आत्मबल महापुरुषों के स्वाभाविक गुण हैं l महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आत्मशक्ति से संपन्न था l उनकी अहिंसा की शक्ति के समक्ष अंग्रेजों को झुकना पड़ा l जब उनकी मृत्यु हुई , तब उनके पास से जो सामग्री मिली उसमे उनका चश्मा , दो जोड़ी चप्पलें , एक चरखा , एक घड़ी और कुछ अन्य सामान्य चीजें मिलीं l उनके पास जो बहुमूल्य चीज थी वह थी उनकी आत्मशक्ति