' जीवन रूपी पुष्प समय और साधनों की छोटी-छोटी पंखुड़ियों से मिलकर बना है | उसकी शोभा इसके सही तरह से व्यवस्थित रहने एवं खिलने में ही है | यदि उन्हें कुचली-मसली स्थिति में ही रहने दिया जाये या आलस्य-प्रमाद के हाथों कुचल-मसल कर फेंक दिया जाये तो समझना चाहिये कि ऐसी भूल चल पड़ी जिसके लिये भविष्य में पश्चाताप ही शेष रह जायेगा |
तीन पथिक पहाड़ी की ऊपरी चोटी पर लम्बा रास्ता पार कर रहे थे | धूप और थकान से उनका मुँह सूखने लगा | प्यास से व्याकुल उन्होंने चारों ओर देखा, पर वहां पानी न था | एक झरना बहुत नीचे गहराई में बह रहा था | एक पथिक ने आवाज लगाई --" हे ईश्वर ! सहायता कर, हम तक पानी पहुँचा | " दूसरे ने पुकारा --" हे इंद्र ! जल बरसा |"
तीसरे ने किसी से कुछ नहीं मांगा और चोटी से नीचे उतर तलहटी में बहने वाले झरने पर जा पहुँचा और भरपूर प्यास बुझाई |
दो प्यासों की आवाजें अभी भी सहायता के लिये पहाड़ी में गूंज रहीं थीं, पर जिसने किसी को नहीं पुकारा वह तृप्ति लाभ कर फिर आगे बढ़ चलने में समर्थ हो गया |
तीन पथिक पहाड़ी की ऊपरी चोटी पर लम्बा रास्ता पार कर रहे थे | धूप और थकान से उनका मुँह सूखने लगा | प्यास से व्याकुल उन्होंने चारों ओर देखा, पर वहां पानी न था | एक झरना बहुत नीचे गहराई में बह रहा था | एक पथिक ने आवाज लगाई --" हे ईश्वर ! सहायता कर, हम तक पानी पहुँचा | " दूसरे ने पुकारा --" हे इंद्र ! जल बरसा |"
तीसरे ने किसी से कुछ नहीं मांगा और चोटी से नीचे उतर तलहटी में बहने वाले झरने पर जा पहुँचा और भरपूर प्यास बुझाई |
दो प्यासों की आवाजें अभी भी सहायता के लिये पहाड़ी में गूंज रहीं थीं, पर जिसने किसी को नहीं पुकारा वह तृप्ति लाभ कर फिर आगे बढ़ चलने में समर्थ हो गया |