15 March 2024

WISDOM -----

 पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----" अहंकार  एक  भ्रम  है  , जो  व्यक्ति  के  अन्दर   तब  उत्पन्न  होता  है  जब  वह  स्वयं  को  श्रेष्ठ  और  शक्तिमान  समझने  लगता  है  l  वह  यह  मानने  लगता  है  कि  दुनिया  उसी  के  इशारे  पर  चल  रही  है  l    जब  व्यक्ति  सफल  होता  है   तब  अपने  अहंकार  के  कारण   वह  परमात्मा  को  धन्यवाद  देना  भूल  जाता  है   और  यह  सोचता  है   कि   उसी  ने  सब  कुछ  किया  है   l  वह  चाहता  है  कि  सारी  दुनिया  उसी  का  गुणगान  करे  ,  उसी  के  इशारों  पर  चले   l "  -------   दक्षिण  में  मोरोजी  पन्त  नामक  बहुत  बड़े  विद्वान्  थे  l  उनको  अपनी  विद्या  का  बहुत  अभिमान  था  l  सबको  नीचा  दिखाते  रहते  थे  l  एक  दिन  दोपहर  के  समय  वे  अपने  घर  से   स्नान  करने  के  लिए  नदी  पर  जा  रहे  थे  l  मार्ग  में  एक  पेड़  पर  दो  ब्रह्मराक्षस  बैठे  थे  l  वे  आपस  में  बातचीत  कर  रहे  थे  l  एक  ब्रह्मराक्षस  बोला  ---- " हम  दोनों  तो  इस  पेड़  की  दो  डालियों  पर  बैठे  हैं  ,  पर  यह  तीसरी  डाली  खाली  है  ,  इस  पर  बैठने  के  लिए  कौन  आएगा   ? "   दूसरा  ब्रह्मराक्षस  बोला  ---- " यह    जो  नीचे  से  जा  रहा  है   न  ,  वह  यहाँ  आकर   बैठेगा   क्योंकि  इसको  अपनी  विद्वता  का  बड़ा  अभिमान  है  l "   उन  दोनों  का  यह  संवाद  सुनकर  मोरोजी  पंत  वहीँ  रुक  गए   l  अपनी  होने  वाली  इस  दुर्गति  से   कि  प्रेतयोनि  में  जाना  होगा  , वे  बहुत  घबरा  गए   और  मन  ही  मन  संत  ज्ञानेश्वर  के  प्रति  शरणागत  होकर  बोले  ---- "  मैं  आपकी  शरण  में  हूँ  ,  आपके  सिवाय  मुझे  बचाने  वाला  कोई  नहीं  है  l "  ऐसा  सोचते  हुए  वे  आलंदी  के  लिए  चल  पड़े   और  जीवन  पर्यंत  वहीँ  रहे  l  आलंदी  वह  स्थान  है  जहाँ  संत  ज्ञानेश्वर  ने  जीवित  समाधि  ली  थी  l  संत  की  शरण  में  जाने  से  उनका  अभिमान  चला  गया    और  संत  की  कृपा  से  वे  भी  संत  बन  गए  l    आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- जीवन  में  अहंकार  उत्पन्न  होने  से  प्रगति  के  मार्ग  अवरुद्ध  हो  जाते  हैं  l  यदि  व्यक्ति  की  चेतना  जाग्रत  हो  जाये , वह  इस  सत्य  को  समझ  ले  कि  जीवन  की  सार्थकता  अहंकार  में   और  उसके  अनुचित  पोषण  में  नहीं  है    तब  वह  ईश्वर  शरणागति , समर्पण  भाव  , विनम्रता , शालीनता   और  सद् विवेक  को  जाग्रत  कर  अपने  जीवन  को  सही  दिशा  में   ला  सकता  है  l '