8 June 2020

WISDOM ----- प्रकृति के सन्देश को समझें

  महाभारत  में  एक  प्रसंग  है  ----  महारथी  कर्ण   के  पास  जन्मजात  कवच  और  कुण्डल  थे  ,  जिनके  रहते  उसे  परास्त  करना  असंभव  था  l   अर्जुन   की  सुरक्षा  के  लिए  देवराज  इन्द्र   ने   कर्ण   से  दान  में  उसके  कवच - कुण्डल  मांगने  का  निश्चय  किया  l   कर्ण   महादानी  और  सूर्यपुत्र  था  l  अत:  रात्रि  में  सूर्यदेव  कर्ण   के  पास  आये  और  कहा -- पुत्र  !  प्रात:  देवराज  इंद्र  वेश  बदलकर  तुम्हारे  पास  कवच - कुण्डल  मांगने  आएंगे  ,  तुम  उन्हें  मना  कर  देना ,  इनके  रहते  तुम्हे  कोई  पराजित  नहीं  कर  सकता  ,  इसलिए  तुम  उन्हें  कवच - कुण्डल  नहीं  देना  l "   लेकिन  कर्ण   ने  उनकी  बात  नहीं  मानी   और  अर्जुन  के  साथ  युद्ध  में  पराजित  हो  वीरगति  को  प्राप्त  हुआ   l
  आज  भी  ईश्वर  हमें  समय - समय  पर  विभिन्न  रूपों  में  समझाने   आते  हैं , सचेत  करने  आते  हैं   लेकिन  मनुष्य  अपने  अहंकार ,  लालच , तृष्णा  में  इतना  डूबा  हुआ  है  कि   प्रकृति  के  संदेश   को ,  उसकी  चेतावनी  को  नहीं  समझ  रहा   और  स्वयं  अपना  अंत  करने  पर  उतारू  है  l
  महामारी  का  कहर ,  दो  बार  समुद्री  तूफान ,  कई  बार  भूकंप ,  फिर  टिड्डी  दल  का  आक्रमण  ---  यह  सब   बड़े  खतरे  की  चेतावनी  है  ,  प्रकृति  हमें  समझा  रही  है  कि   विज्ञान   अपनी  मर्यादा   में  रहे , प्रकृति  को  जीतने  का  प्रयास    न  करे   l   मनुष्य  अपने  लोभ - लालच  पर  नियंत्रण  रखे   l   अति  हर  चीज  की  बुरी  है  ,  धन  का  अति  लालच  ,  गुलाम  बनाने  की  प्रवृति ,  अत्याचार - अन्याय -- इन  सब  की  अति  प्रकृति  को  बर्दाश्त  नहीं  है  l   मनुष्य  जागे ,  अन्यथा   शिवजी  के  तीसरे  नेत्र  को  खुलने  से  कोई  नहीं  रोक  सकता  l