26 December 2018

WISDOM ----- अपने मनोबल को टूटने न दें

   हमारे महाकाव्य हमें  जीना  सिखाते  हैं ----
 आत्मविश्वास   टूटा  तो  सामर्थ्य  चाहे  कितनी ही  प्रचंड - अजेय  क्यों  न  हो  ,  काम  नहीं  आती   और  पराजय  का  मुंह  देखना  पड़ता  है  l 
  अपनी फूटनीति  से    महाभारत  युद्ध  में   दुर्योधन  ने  शल्य  को   कर्ण  का  सारथी बनने  के  लिए   सहमत  कर  लिया  l  कर्ण  ने  कहा  था ---- " यदि  मुझे  शल्य  जैसा  सारथी  मिल  जाये    तो  एक  अर्जुन  तो  क्या  ,  सैकड़ों  अर्जुन  जैसे  वीरों  को  मार  दूंगा  l " 
पांडवों  को मालूम  हुआ  कि  मामा  शल्य  ने  कर्ण  का  सारथी  बनना  स्वीकार  कर  लिया  है  l  शल्य  का  सारथी  बनना  पांडवों  के  लिए  खतरे  से  खाली  न  था   l  बात  कृष्ण  को  मालूम  हुई  l  नीति  निपुण  कृष्ण  ने  शल्य  से  निवेदन  किया  ---- "  कर्ण  का  सारथी    बनने  के  लिए  आप वचनबद्ध  हैं   l  युद्ध  में  कौरवों  का  साथ  दीजिए,  पर  धर्मयुद्ध  के  लिए   आप  मात्र  कर्ण  को  हतोत्साहित  करते  रहिएगा  l  "  शल्य  ने   कृष्ण    का  निवेदन   स्वीकार  कर  लिया   l  इतिहास प्रसिद्ध  है   कि  शल्य  के  हतोत्साहित  करते   रहने  के  फलस्वरूप   ही  कर्ण  का  मनोबल    टूटता  रहा ,   फलत:  वह  हारा  और  मारा  गया  l 
       इस प्रसंग  से  हमें  शिक्षा  मिलती  है   कि  हम  सबके  जीवन  में ,  हमें  उन्नति  के  पथ  पर  आगे  बढ़ने  से  रोकने  के  लिए  अनेकों  शल्य  आते  हैं ,  जो  अपने    छल - बल  से   हमें  हतोत्साहित  करने  का ,  मनोबल  को  गिराने  का  प्रयास  करते  हैं  l  हम  ईश्वर  विश्वासी  बने ,  ईश्वर  विश्वासी  ही  आत्मविश्वासी  होता  है  l