यूनान का एक वृद्ध दार्शनिक अपने मित्र से बोला -मैंने लोगों को सच्चाई और सदाचार की शिक्षा देने की योजना बनायी है ।विद्दालय के लिये स्थान चुन लिया है ,पर विद्दा -अध्ययन के लिये विद्दार्थी नहीं मिलते ।मित्र हँसते हुए बोले -तो आप कुछ भेड़ें खरीद लीजिये और अपना पाठ उन्हें ही पढ़ाया करें ।तुम्हारी इस योजना के लिये आदमी मिलने मुश्किल हैं ।हुआ भी ऐसा ही ,कुल दो युवक आये ।जिन्हें घर वाले आधा पागल समझते थे और मोहल्ले वाले सिरदर्द ।वृद्ध ने उन्हीं को पढ़ाना शुरु किया ।दूसरे लोग कहा करते -बुड्ढे ने मन बहलाने का अच्छा साधन ढूंढा ।किंतु यही दोनों इस बूढ़े विचारक से शिक्षा प्राप्त कर जब पहली बार घर लौटे तो उनके रहन -सहन ,बोलचाल ,अदब -व्यवहार ने लोगों का ह्रदय मोह लिया ।फिर तो जो विद्दार्थियों की संख्या बढ़नी शुरु हुई कि विद्दालय पूरा विश्व -विद्दालय बन गया ।पहले के दोनों छात्रों में एक यूनान का प्रधान सेनापति और दूसरा मुख्य सचिव नियुक्त हुआ ।यह वृद्ध ही सुविख्यात दार्शनिक जीनों और उसकी पाठशाला ने जीनों की पाठशाला के नाम से विश्व ख्याति अर्जित की ।
16 January 2013
FOOLISH MONKEY
एक चालाक भालू था ।उसने एक बन्दर को अपना दोस्त बनाकर मतलब गाँठने का रास्ता निकाला ।भालू पानी में घुसकर मछली पकड़ता था ।इसमें उसे बहुत श्रम करना पड़ता था और थोड़ा लाभ हाथ आता ।नई तरकीब उसने यह निकाली कि बन्दर की पूंछ में आटा लिपटा देता ।गंध पाकर मछलियाँ वहां आतीं ।भालू पानी में ही छिपकर बैठा रहता ।मछली पास आते ही उन्हें पकड़ लेता ।जल्दी पेट भर लेता ।बदले में भालू बन्दर को बेर बीन कर दिया करता ।इस बात का पता एक मगर को लग गया ।वह दूर बैठा यह दृश्य देखा करता ।आटे की गंध उसे भी आकर्षित करती ।एक दिन मगर ने बन्दर को धर दबोचा और उसे हड़प लिया ।बदमाशी में साझीदार बनने का क्या नतीजा होता है यह बन्दर ने तब अनुभव किया जब वह मगर की दाढ़ों में फँस गया ।
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