23 April 2023

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " समाज  में  कुछ  लोग  ऐसे  होते  हैं   जो  अपने  से  संबंधित  किसी  भी  सच्चाई  को  स्वीकारना   ही  नहीं  चाहते   और  सच्चाई  को  छुपाने  के  लिए   भांति -भांति  के  आडम्बर  ओढ़ते  हैं , झूठ  बोलते  हैं  l  इस  कारण  उनके  व्यक्तित्व  के  ऊपर  इतने  नकाब  चढ़  जाते  हैं  कि   वे  अपनी  वास्तविक  पहचान  से  बहुत  दूर  हो  जाते  हैं  l  ओढ़े  गए  आडम्बर  कभी  भी  जीवन  में   सुकून   और  शांति  नहीं  देते   और  इसका  परिणाम  भी  कभी  हितकारी  नहीं  होता  l  गोस्वामी  तुलसीदास जी  ने  रामचरितमानस  में  लिखा  है  -------' उधरहिं  अंत  न  होइ   निबाहू  , कालनेमि  जिमि  रावण  राहू  l   अर्थात  जो  वेशधारी  ठग  हैं  , उन्हें  भी  अच्छा   साधु  का  वेश  बनाये  हुए  देखकर   उनके  वेश  के  प्रताप  से  जग  उन्हें  पूजता  है  ,  परन्तु  एक न  एक  दिन  उनका  भेद  खुल  जाता  है  , अंत  तक  उनका  कपट  नहीं  निभता , जैसे  कालनेमि , रावण  और  राहू  का  हाल  हुआ  l  राक्षसराज  रावण   के  कहने  पर  कालनेमि  ने   साधु  का  वेश  धारण  किया   और  जब  श्री  हनुमान जी  संजीवनी  बूटी   लाने  के    लिए  हिमालय  जा  रहे  थे  , तब  उनका  मार्ग  रोका  l  साधु वेशधारी  कालनेमि  की  राम भक्ति  से  हनुमान जी  बहुत  प्रभावित  हुए   लेकिन  जब  उन्हें  सच्चाई  का  पता  चला  कि  यह  कालनेमि  तो  राक्षस  है  , उनका  मार्ग  रोकने  के  लिए  यह  कार्य  कर  रहा  है  , तो  उन्होंने  तत्क्षण  उसका  वध  कर  दिया  l  इसी  तरह  रावण  ने  साधु  का  वेश  धारण  कर  के  और  स्वयं  को  तपस्वी   बताकर  सीताजी  का  अपहरण  किया  l  इस  कपट  का  दंड   सम्पूर्ण  राक्षस  वंश  को   अपने  प्राण  देकर  चुकाना  पड़ा  और   अंत  में   महाज्ञानी , शक्तिशाली  रावण  का  भी     इस  कपट  के  कारण  अंत  हुआ  l    यही  हाल  राहु  का  भी  हुआ  l  समुद्र  मंथन   में  जब  अमृत  निकला   और  भगवान  विश्वमोहिनी  रूप  धारण  कर  अमृत  बाँट  रहे  थे   तब  राहु  देव  रूप  धारण  कर  देवताओं  के  समूह  में  बैठ  गया   और  अमृत पान  कर  लिया  किन्तु  जैसे  ही   सूर्य  और  चन्द्र देव  ने  भगवान  को  बताया  कि  यह  तो  असुर  है   तो भगवान  ने  अपने  सुदर्शन चक्र  से   उसका  सिर  धड़  से  अलग  कर  दिया   l  तब  तक  राहु  अमृत  पी  चुका  था  इसलिए  मरा  नहीं  और  दो  भागों   में  विभाजित  -राहु  और  केतु  --नवग्रह  में  अपना  स्थान  पाया  l  आचार्य  श्री  लिखते  हैं  --- व्यक्ति  को  आडम्बर युक्त  जीवन  का  चयन  नहीं  करना  चाहिए  ,  बल्कि   सच्चाई  के  साथ  जीवन  जीना  चाहिए  l  ऐसा  जीवन  ही  व्यक्ति  को  आत्मबल  प्रदान  करता  है  l