16 September 2021

WISDOM ----- काल के विधान को कोई भी नहीं बदल सकता

 विधि  का  विधान  अटल  है  ,   कर्म     की   गति  को  कोई  भी  नहीं  बदल  सकता   ,  महाभारत   युद्ध     एक    सुनिश्चित  विधान  था   ,  इसे  टालने  के  लिए   स्वयं  भगवान   कृष्ण   शांतिदूत  बनकर  दुर्योधन  के  राजप्रासाद  में  पहुंचे  l   उस  काल  में  विदुर  जैसे  नीतिज्ञ ,  भीष्म  के  समान   ज्ञानी  एवं  वीर ,  कुंती ,  गांधारी , द्रोपदी  जैसी  पतिव्रताएँ   और  अनेक  योगी ,  तपस्वी  थे  l   सबके  सम्मिलित  प्रयास  के  बावजूद  युद्ध  टाला   न  जा  सका   l  ऋषियों  का  कहना  है  --- चरम  पुरुषार्थ  के  बाद  भी   यदि  अनहोनी  न  टले  तो  उसे  नियंता  का  विधान  कहते  हैं  l  युद्ध  उस  काल  का  विधान  था  और  भगवान  श्रीकृष्ण  को  बिना  अस्त्र -शस्त्र  उठाए   उसे  संचालित  करना  था  l  इस  युद्ध  में  कौरव  पक्ष  के  सभी  महारथी  मारे  गए  l  गांधारी  शिव  भक्त  थीं  ,सारा  जीवन  आँखों  पर  पट्टी  बांधकर  साधना  करती  रहीं  , कभी  गलत  का  साथ  नहीं  दिया   लेकिन  सौ  पुत्रों  के  मारे  जाने  की  पीड़ा  उनके  हृदय  में  थी  l  जब  श्रीकृष्ण   उन्हें  सांत्वना  देने  पहुंचे   तो  बोलीं ---- " कृष्ण  ! तुम  चाहते  तो   महाभारत  रोक  सकते  थे  , तुम  सर्वसमर्थ  थे  l " श्रीकृष्ण   बोले    --- "काल  के  विधान  को  ,  कर्म  की  गति  को  कोई  भी  नहीं  बदल  सकता   l   अनीति  को  अधर्म  को  मिटना  ही  था  , यही  विधि  का  विधान  था  l "  गांधारी  को  संतोष  न  हुआ   और  उसने  कृष्ण  को  शाप  दे  दिया  कि  जैसे  उसके  कौरव  वंश  का  अंत  हुआ   वैसे  ही  कृष्ण  के  यादव  कुल  का  भी  अंत  होगा  l  "   गांधारी  का  शाप  फलित  हुआ  l यादवों  की  लड़ाई  में  श्रीकृष्ण  का  सारा  कुल  नष्ट  हो  गया   l   भगवान  कृष्ण  अपने  ही  वंश  को  लड़ते -मरते -कटते  शांत  होकर  देखते  रहे  l  भ्राता  बलराम  ने  इस  पर  अपनी  प्रतिक्रिया  जाहिर  की  ,  परन्तु  भगवान  कृष्ण  ने  कहा  कि  यही  विधान  है  ,  इस  वंश  का  अंत  होगा   और  द्वारका  समुद्र  के  गर्भ  में  समा  जाएगी  ,  और  यही  हुआ   l     इस   कथा  में  महत्वपूर्ण   बात   यह  है  कि   संसार  में  जो  भी  घटनाएं  घटित  होती  है  ,  वह  सब  ईश्वरीय  विधान  है  , लेकिन  इन  घटनाओं  का  कोई  निमित्त  होता  है   l  श्रीकृष्ण  के  कुल  के  नाश  के  लिए  काल  ने  गांधारी  को  निमित्त  बना  दिया  l   उसके  जीवन  भर  की  तपस्या  इस  शाप  के  माध्यम  से  निकल  गई   l  आज  भी  संसार  में  विभिन्न     उत्थान -पतन  की , अच्छी - बुरी  घटनाएं  घटित  होती  हैं  ,  हम  जागरूक  रहें  और  सोच -समझ  कर  कर्म  करें  ,  हम  किसी  के  पतन  का , किसी  बुरी  घटना  का  निमित्त  न  बनें   l   ईश्वर  हमारा  चयन  किसी  के  उत्थान  के  लिए ,   संसार  में  श्रेष्ठ  कार्यों  को  अंजाम  देने  के  लिए  हमें   निमित्त   बनाए  l