एक मजदुर अपनी आर्थिक स्थिति से दुखी होकर एक महात्माजी के पास गया l महात्माजी ने उस पर दया करते हुए अपना गधा उसे दे दिया l मजदुर बहुत खुश हुआ कि अब उसे ईंट , गारा ढोने में गधे से सुविधा होगी l वह यह सोच ही रहा था कि गधा जमीन पर गिरा और मर गया l मजदूर ने वहीँ गड्डा खोद कर उसे दफनाया और रोने लगा उसे कब्र के पास रोते देख किसी राहगीर ने सोचा कि जरुर यहाँ कोई दिव्य आत्मा चल बसी है , उसने कब्र पर सिर झुकाकर कुछ पैसे चढ़ा दिए l मजदूर कुछ बोलता इसके पहले वहां पैसा चढ़ाने वालों की भीड़ लग गयी , लोगों का तांता लग्न शुरू हो गया l
घबराये मजदूर ने सारी बात महात्माजी को बताई तो महात्माजी बोले ----- "भगवान को शायद तेरी सहायता के लिए यही मार्ग मंजूर था l वह गधा जो मदद तेरी जीते जी न कर सका , वह मरकर कर गया l इन पैसों का इस्तेमाल कर कुछ अच्छे काम करना l याद रखना यह दुनिया ऐसे ही अंधविश्वासों को पाल कर बैठी है l इसलिए अपने अच्छे कर्मों पर भरोसा रख , मुफ्त के चमत्कारों पर नहीं l
घबराये मजदूर ने सारी बात महात्माजी को बताई तो महात्माजी बोले ----- "भगवान को शायद तेरी सहायता के लिए यही मार्ग मंजूर था l वह गधा जो मदद तेरी जीते जी न कर सका , वह मरकर कर गया l इन पैसों का इस्तेमाल कर कुछ अच्छे काम करना l याद रखना यह दुनिया ऐसे ही अंधविश्वासों को पाल कर बैठी है l इसलिए अपने अच्छे कर्मों पर भरोसा रख , मुफ्त के चमत्कारों पर नहीं l