28 February 2018

WISDOM ----- देश और समाज के प्रति प्रेम चरित्र का अनिवार्य अंग है

   देश  व  समाज  के  प्रति  प्रेम   जितना  अधिक  होता  है   वहां  सुव्यवस्था ,  शान्ति  व  उन्नति  के  आधार  मजबूत  होते  हैं  l  इसका  कारण  वे  व्यक्ति  हैं   जो  जन  हित  के  लिए  कुछ  भी  उत्सर्ग  करने  के  लिए  तैयार  हो   जाते   हैं  l  जब  समाज  या  राष्ट्र  पर  संकट  के  बादल  घिर  आते  हैं  तो  जन  समुदाय  ऐसे  ही  चरित्रवान ,  साहसी  लोगों  से  मार्गदर्शन  की  अपेक्षा  करता  है  l 
    रोमन  साम्राज्य  जब  संकट  में  फंसा  तो  शासन  सभा  के  सदस्यों  ने   एक  ऐसे  व्यक्ति  को   सूत्र  संचालन  सौंपा  जो  सक्रिय  राजनीति  से  संन्यास  लेकर  सामान्य  जीवन  व्यतीत  कर  रहा  था  ,  जिसका  नाम  था ---- सिनसिनेट्स  l  वह  अपने  तेजस्वी  व्यक्तित्व  और  आदर्श  चरित्र  के  बल  पर  पहले  भी
 राजप्रमुख   के  रूप  में  कई  वर्षों  तक  राष्ट्र  की  बागडोर  सम्हाले  रहा  l  जब  संकट  की  घड़ियाँ  आईं,  एक  बार  फिर  सभासद  उसके  पास  पहुंचे  l वह  खेत  पर  काम  कर  रहा  था  l  वहां  से  आकर  संकट  में  फंसे  देश  को   उबारा  l  जनता  ने  उसके  प्रति  जो  विश्वास  व्यक्त  किया ,  उसे  कायम  रखा  l  संकट  का  दौर  समाप्त  हो  जाने  पर   पुन:  उत्तराधिकारियों  को   बागडोर  थमा  कर  शान्ति  के  साथ  जीवन  व्यतीत  करने  लगा   l  

27 February 2018

WISDOM -------------

 अध्यात्म  रामायण  में  एक  कथा  आती  है ---- एक  बार   भगवान  राम  और  लक्ष्मण  एक  सरोवर  में  स्नान  के  लिए  उतरे  l उतरते  समय  उन्होंने  अपने - अपने  धनुष  बाहर  तट  पर  गाड़  दिए  l  जब  वे  स्नान  कर  के  बाहर  निकले  तो  लक्ष्मण  ने  देखा  कि  उनके  धनुष  की  नोक  पर  रक्त  लगा  हुआ  है  l  उन्होंने  भगवान  राम  से  कहा --- भ्राता ! लगता  है  कि  अनजाने  में  कोई  हिंसा  हो  गई  l "  दोनों  ने  मिट्टी  हटाकर  देखा  तो  वहां  एक  मेढक  मरणासन्न  पड़ा  था  l  भगवान  राम  ने  करूणावश  मेढक  से  कहा ---- " तुमने  आवाज  क्यों  नहीं  दी  ?  हम  लोग  तुम्हे  बचा  लेते  l  जब  सांप  पकड़ता  है ,  तब  तुम खूब  आवाज  लगाते  हो  ,  धनुष  लगा  तो  क्यों  नहीं  बोले  ? "
  मेढ़क   बोला  ---- " प्रभु  ! जब  सांप  पकड़ता  है  , तो  मैं  राम - राम  चिल्लाता  हूँ ,  पर  आज  देखा  कि  भगवान  राम  स्वयं  धनुष  लगा  रहे  हैं  ,  तो  किसे  पुकारता  ?  इसे  अपना  सौभाग्य  मानकर  चुपचाप  लेटा  रहा  l  "
सच्चे  भक्त   जीवन  के   हर  क्षण  को  भगवान  का  आशीर्वाद  मानकर  उसे  स्वीकार  करते  हैं   l  

26 February 2018

WISDOM ------ अच्छे कर्म पर भरोसा रखें , चमत्कारों पर नहीं

  एक  मजदुर  अपनी  आर्थिक  स्थिति  से  दुखी  होकर  एक  महात्माजी  के  पास  गया  l  महात्माजी  ने  उस  पर  दया  करते  हुए  अपना  गधा  उसे  दे  दिया  l  मजदुर  बहुत  खुश  हुआ  कि  अब  उसे  ईंट , गारा  ढोने  में  गधे  से  सुविधा  होगी  l  वह  यह  सोच  ही  रहा  था  कि   गधा  जमीन  पर  गिरा  और  मर  गया  l  मजदूर   ने  वहीँ  गड्डा  खोद  कर  उसे   दफनाया  और  रोने  लगा  उसे  कब्र  के  पास  रोते  देख  किसी  राहगीर  ने  सोचा  कि   जरुर  यहाँ  कोई  दिव्य  आत्मा  चल  बसी  है  ,  उसने  कब्र  पर  सिर  झुकाकर  कुछ  पैसे  चढ़ा  दिए  l  मजदूर  कुछ  बोलता  इसके  पहले  वहां  पैसा  चढ़ाने  वालों  की  भीड़  लग  गयी  ,  लोगों  का  तांता  लग्न  शुरू  हो  गया  l
    घबराये  मजदूर  ने  सारी  बात  महात्माजी  को  बताई  तो  महात्माजी  बोले ----- "भगवान  को  शायद  तेरी  सहायता  के  लिए  यही  मार्ग  मंजूर  था  l  वह  गधा  जो  मदद  तेरी  जीते  जी    न  कर  सका ,  वह  मरकर  कर  गया   l  इन  पैसों  का  इस्तेमाल  कर  कुछ  अच्छे  काम  करना  l  याद  रखना  यह  दुनिया  ऐसे  ही  अंधविश्वासों  को  पाल  कर  बैठी  है  l  इसलिए  अपने  अच्छे  कर्मों  पर  भरोसा  रख  ,  मुफ्त  के  चमत्कारों  पर  नहीं   l 

25 February 2018

WISDOM ------ जब संवेदना जाग उठी

 अमेरिका  के  विश्व  प्रसिद्ध  संगीतकार  सिग्रफिड  जोनसन  जन्म  से  अन्धे  थे   l  किसी  ने  उन्हें  संगीत  साधना  की  प्रेरणा  दी  l  उन्होंने  दिन - रात  परिश्रम  किया  , उनकी  गणना  अमेरिका  के   प्रसिद्ध  संगीतकारों  में  होने  लगी l  देश - विदेश में  उन्हें  कार्यक्रम  मिलने  लगे  और  अपनी  कला  के  प्रदर्शन  के  लिए  वे  विभिन्न  देशों  की  यात्राएँ  संपन्न  करने  लगे  l  इन्ही  यात्राओं  के  अंतर्गत  वे  एक  बार  भारत  आये  l   उनकी  कार  जिस  स्थान  पर  आकर  रुकी  वहां  एक  अँधा  भिखारी  बैठा  भीख  मांग  रहा  था , वह  बड़े  कारुणिक  स्वर  में  गा  रहा  था  और  बीच - बीच  में ' अंधे  को  रोटी  दे '  की  टेर  भी  लगा  देता  l  उन्होंने  अपने  ड्राइवर  से  पूछा  कि  --- " क्या  इस  देश  में  सभी  अंधे  व्यक्ति    भीख  मांग  कर  आजीविका  चलाते  हैं  ? "  ड्राइवर  ने  कहा --- "  जी  हाँ , लगभग  ऐसा  ही  है  l "
  उन्हें  बहुत  दुःख  हुआ  l  वे  विचार  करने  लगे  कि   अंधे ,  अपंग  किसी  की  दया  पर  नहीं  रहें ,  उनमे  आत्मविश्वास  पैदा  हो  l  उनके  ह्रदय में  करुणा  जाग  गई  ,  उन्होंने  निश्चय  किया  कि   वे  भारत  में  एक  ऐसा  आश्रम  स्थापित  करेंगे  जिसमे  अंधे  व्यक्ति  रहकर  सम्मान पूर्वक  आजीविका  कमा  सकें  l   उन्होंने  छह  वर्ष  तक  भारत  में  विभिन्न  स्थानों  पर  संगीत  कार्यक्रम  दिए  l  उनके  टिकट  से  होने  वाली आय  को   अंधाश्रम  की व्यवस्था  के  लिए  सुरक्षित  रखा  l    वे  दक्षिण  भारत  के  ऐलम  जिले  के   तिरुपत्तर  गाँव  में  विशाल  आश्रम  की  योजना  को  मूर्त  रूप  देने  में  लगे  रहे  l  जिस  समय वे  अपने  देश  रवाना  हुए  तब  उन्होंने  लगभग  दो  लाख  रुपया  आश्रम  को  दिया  l  उनका  यह  प्रयास  आज  भी  अंधों  के  सम्मानित  जीविका  उपार्जन   के  रूप  में  देखा  जा  सकता  है  l   

24 February 2018

WISDOM -------- श्रेष्ठ सन्तान के लिए व्यक्ति के अन्दर शुभ संस्कारों का होना जरुरी है l

   हम  वास्तव  में  अन्दर  से  कैसे  हैं  ,  यही  हमारी  वास्तविक  छवि  है  और  उसी  के  अनुरूप  संतान  का  निर्माण  होता  है  l  माता - पिता  के  आंतरिक  गुण , संस्कार ,  आदतें , व्यवहार  आदि  सभी  कुछ  उसकी  संतान  को  विरासत  में  मिलते  हैं   l  एक  बार  गांधीजी  से   एक   पत्रकार  ने  पूछा --- " आप  इतने  महान  महात्मा  हैं  फिर  आपकी   सन्तान  इतनी  सामान्य  क्यों  है  ?  वह  आपकी  जैसी   या   आपसे   अधिक  महान  क्यों नहीं  है  ?  "  महात्मा  गाँधी  ने  हँसकर  जवाब  दिया ---- " मेरी  संतानों  के  जन्म  के  समय  मैं  अत्यंत  ही  सामान्य  व्यक्ति  था  , इसलिए  स्वाभाविक  है  कि  मेरी     संतान  सामान्य  हो   l  " 

22 February 2018

WISDOM ------ जीवन में छोटी - छोटी बातों का बहुत महत्व है

 एक  छोटा  सा छेद    बड़े से  बड़े  जहाज  को  डुबो  सकता  है  l  छोटी - छोटी  और  साधारण  लगने  वाली  घटनाएँ  बहुत  बड़ी  तथा  असाधारण  होती  हैं  l   एक  कथा  प्रचलित  है ----- विजय नगर  के  राजा  कृष्णदेवराय  ने  अपने  यहाँ  एक  नौकर  रखा  l  नौकर  के कहने  पर  तनख्वाह  तय  हुई  एक  पैसा  प्रति  माह  l  साथ  ही  यह  शर्त  भी  थी  कि   वेतन  प्रतिमास  गुणानुपात   में  बढ़ाया  जाये   l  राजा  को  यह  शर्त  आसान  लगी  l  उसी  क्रम  से  वेतन  बढ़ने  लगा  l  दूसरे  माह  दो  पैसे , तीसरे  माह  एक  आना ,  चौथे  माह  दो  आना , पांचवें  माह  चार  आना , छठे  माह  आठ  आना ,  सातवें  माह  एक  रुपया  और  अंत  में   1 लाख 
31 हजार   17रूपये  प्रति  माह  कमाने  वाला   हो  गया  l 
  तब  राजा  को  समझ  में  आया  कि  जिस  शर्त  को  उसने  बहुत  छोटी  और  आसान  सा  समझा  था  वह  कितनी  बड़ी  है  l
  छोटी  सी  असावधानी   बड़ा  विध्वंस  कर  सकती  है ,  इसका  उदाहरण  है  मिसीसिपी  बाँध  का  टूटना  l  इस  नदी  के  स्तर  से  लगभग  लगभग  15  फीट  नीचे  आर्लियंस  नगर  बसा  हुआ  है  l  1883  में  उस  बाँध    में  छोटी  सी    दरार  देखी    गई  l   बाँध  बहुत  मजबूत  था  अधिकारियों  ने  सोचा  कि   एक - दो  फीट  लम्बे  बाल  के  बराबर  इस  दरार से  कोई  अनर्थ  नहीं  होगा  l  लेकिन  इस  लापरवाही  के  परिणाम स्वरुप  चौड़ी  होते  होते   वह  दरार  इतनी  बड़ी  हो  गई  कि   उससे  निकली  विपुल  जल  राशि  से    आर्लियेन्स  नगर  ही  डूब  गया   l 

20 February 2018

WISDOM ------ मनुष्य के विनाश का सबसे प्रबल कारण है ---- उसका अहंकार

   '  मैं  ही  सब  कुछ  हूँ ,  मेरा  विचार  ही  सबसे  अच्छा  है , मैं  सबसे  अधिक  सुन्दर  हूँ ,  मैं  धनी  हूँ ,  मैं  पंडित  हूँ   आदि  अहंकारिक  भावनाओं  के  कारण  ही  संसार  में  कलह ,  झंझट ,  युद्ध   और  महायुद्ध  की   विभीषिकाएँ  उठ  खड़ी  होती  हैं   l  '
  अपने   इस  अहंकार  की  तुष्टि  के  लिए  ही  मनुष्य  दूसरों  पर  अत्याचार  करता  है  l   पराया  माल   छीनना  ,  हड़पना ,  चोरी  कर  लेना ,  दूसरों  की   मेहनत  का  उचित  पारिश्रमिक  न  देना  ,  मानवीयता  नहीं  है   l  इससे  मनुष्य  का  घोर  आंतरिक  पतन  होता  है  l   मनुष्य  जानता  है  कि  इस  धन  को  वह  अपनी लाश  के  साथ  नहीं  ले  जा  सकता  ,  फिर  भी  उसका  लालच  कम  नहीं  होता  ! 
      संसार  की  क्षणभंगुरता  को   हमेशा   ध्यान  में   रखने  से  ही  यह  संभव  है  कि   मनुष्य  इस  दुष्प्रवृति  से  बचा  रह  सके   l  संकल्प  के  धनी  व्यक्ति  ही  अहंकार  को  कुचलने  का  साहस  कर  पाते  हैं   l  

18 February 2018

WISDOM ------ तृष्णा कभी समाप्त नहीं होती

' जिस  तरह  मक्खी  या  चींटी  गुड़  की  चाशनी  में  एक  बार  चली  जाये  तो  फिर  वहां  से  वह  निकल  नहीं  पाती   और  अंततः  वहीँ  उसकी  मृत्यु  हो  जाती  है   l  '
   रामकृष्ण   परमहंस  एक  कथा  कहते  हैं ---- एक  व्यक्ति  घने  जंगल  में  भागा  जा  रहा  था  l  घने  अँधेरे  के  कारण  कुएं  में  गिर  गया  l  गिरते  हुए  उसके  हाथ  में  कुएं  के  ऊपर  झुके  वृक्ष  की  डाल  आ  गई  l  नीचे  झाँका  तो  वहां  चार  विशाल  अजगर  थे   और  जिस  डाल  को वह  पकड़े  था  उसे  दो  चूहे  कुतर  रहे  थे  l   इतने  में  एक  हाथी  आया   और  वृक्ष  के  तने  को  हिलाने  लगा  l  वृक्ष  के  ठीक  ऊपर  मधु मक्खी  का  छत्ता  था  l  वृक्ष  हिलने  से  मधुमक्खी  उड़ने  लगी  तो  छत्ते  से  शहद  टपकने  लगा  जो  उस  व्यक्ति  के  होठ  पर  गिरा   l  अब  वह  व्यक्ति  सारे  कष्ट  भूलकर  शहद  चाटने  लगा  l  उसी  समय  वहां  से  शिव -पार्वती   निकले  l  पार्वतीजी  ने  उसे  बचाने  के  लिए  शिवजी  से  अनुरोध  किया  l  शिवजी  ने  उससे  कहा --- " मेरा  हाथ  पकड़  लो  ,  मैं  तुम्हे  बाहर  निकलता  हूँ  l "  वह  व्यक्ति  कहने  लगा --- " बस  एक  बूंद  शहद  और  चाट  लूँ  l  "  हर  बूंद  के  बाद  अगली  बूंद  की  प्रतीक्षा  चलती  रही  l  अंत  में  शिवजी  उसे  छोड़कर  चले  गए  l 

17 February 2018

WISDOM ------ सस्ती वाह - वाही से बचना चाहिए

    एक  राजा  बहुत  प्रसिद्धि  प्रिय  था  l  वह  आये  दिन  कुछ  न  कुछ  ऐसे  काम  करता  रहता   जिससे  उसके  नाम  की  चर्चा  होती  रहे  l  सभी  उसे  दयालु  मानते  रहें  l   एक  पर्व  पर  उसने  आदेश  निकाला  कि  वह  पकड़े  हुए  पक्षी  खरीदेगा  और  उन्हें   मुक्त  करने  का  पुण्य  लाभ  करेगा  l  यह  क्रम  पूरे  एक  वर्ष  तक  चलेगा  l 
  प्रजाजनों  को  एक  सस्ता  धन्धा  मिल  गया  l  उन्होंने  बहेलिये  की  चतुरता  सीख  ली  l  हर  व्यक्ति  रोज  दर्जनों  पक्षी  जाल  में  फंसा  लेता  और  राजा  से  उनकी  अच्छी - खासी  कीमत  वसूल  कर  ले  जाता  l  सबेरे  से  शाम  तक   राजदरबार  में  हजारों  पक्षी  खरीदे  और  छोड़े  जाते  थे  l   कुछ  ही  महीनो  में  सारा राजकोष  खाली    गया  l
  बुद्धिमान  मंत्री  ने   राजा  को  समझाया  कि  इस  सस्ती  वाह - वाही  में  राजकोष  समाप्त  हो  रहा  है   l  जन -साधारण  को  बहेलिये  का  धन्धा  अपनाने  का  स्वभाव  पड़  रहा  है   l  पक्षी  त्रास  पा  रहे  हैं  l  ऐसी  झूठी  दयालुता  से  कोई  लाभ  नहीं  जिसका  परिणाम  न  सोचा  जाये   l  

16 February 2018

WISDOM ---- संगठन का चमत्कार हर क्षेत्र में देखा जा सकता

आज  संसार  में   संगठन  शक्ति  के  सहारे   दुष्ट - दुरात्मा  भी  सफल  होते  और  अपनी  धाक  जमाते  देखे  जा   सकते  हैं  l '   
    माफिया  गिरोह  संसार  भर  में   कुख्यात  है  ,  इस  शब्द    सभी  आतंकित  होते  हैं  l  इनकी  सफलता  को  दुष्टता  की  विजय  नहीं ,  वरन  संगठन  की  महत्ता    कह  सकते  हैं   l
   इटली  का  सिलियन  माफिया  ग्रुप   इस  सम्बन्ध  में   विश्व विख्यात  है  l  उस   गिरोह  में  सौ  से  अधिक  व्यक्ति  नहीं  हैं  ,  पर  अपराधों  से  धन  कमाने  में   वह  असाधारण  रूप  से  सफल  हुआ  है  l   इटली  के  बाद  अब  वह  अमेरिका  जा  पहुंचा   और  सारे  धनी  क्षेत्र   . को  उसने   अपने  संगठित  विभागों  में  बाँट  रखा  है  l  इसको  समाप्त  करने  में   अमेरिका   का  गुप्तचर  विभाग  और  पुलिस  इतनी   सफल  नहीं  हो  पाती,  जितनी  कि  होनी  चाहिए  l  जितने  पकडे  जाते  हैं  ,  उससे  ज्यादा  उस  संगठन  में    नये  दस्यु   सम्मिलित  हो  जाते  हैं   l  उनका  कारोबार  इसलिए  बंद  नहीं  हो  पाता  क्योंकि  उनके  संगठन   में    सदस्यों   में   संगठन         ,  अनुशासन  का  निर्वाह  पूरी   तरह    होता  है   l

15 February 2018

WISDOM ----- जिसने अपनी आत्मा को बेच दिया , उसका सब कुछ खो जाता है

  खडाऊं  पहन  के  पंडितजी  मंदिर  की  और  चले  l  कदम  बढ़ने  के  साथ - साथ खडाऊं  से  भी  खट-खट  का  स्वर  निकल  रहा  था  l  पंडितजी  को  यह  आवाज  पसंद  न  आई  l  वह  एक  स्थान  पर  खड़े  होकर  खडाऊं  से  पूछने  लगे  ---- " अच्छा  यह  तो  बताओ  कि  पैरों  के  नीचे  इतनी  दबी  रहने  पर  भी  तुम्हारे  स्वर  में   कोई  अंतर  क्यों  नहीं  आया  ? "
  खडाऊं  ने  पैरों  के  नीचे  दबे -दबे  ही  पंडितजी  की  जिज्ञासा  शांत  करते  हुए  कहा ---- " मैं  तो  जीने  की  इच्छुक  हूँ  ,  पंडितजी ,  इस  संसार  में  ऐसे  लोगों  की  कमी  नहीं   जो  दूसरों  के  दबाव  में  आकर  अपना  स्वर  मंद  कर  लेते  हैं  ,  उन्हें  तो  जीवित  अवस्था  में   भी  मैं   मरा  हुआ   मानती  हूँ   l  "

14 February 2018

WISDOM ------- काल बड़ा बलवान है

  काल  की  बड़ी  महिमा  है  l  काल  बड़े - बड़ों  को  धराशायी  कर  देता  है  l  बड़े - बड़े  साम्राज्य  जिनकी  कहीं  कोई  सीमा  नजर  नहीं  आती  है ,  जिनका  सूर्य  कभी  ढलता  ही  नहीं  है  ,  इतने  बड़े  और  व्यापक  साम्राज्य  को  काल  क्षण  भर  में  धूल - धूसरित  कर  देता  है  l
  काल  उठाता  है  तो   एक  असहाय  निर्बल  भी  बलशाली  बन  जाता  है  l  काल  साथ  देता  है  तो  अत्यंत  दुरभिसंधियां  एवं   विपरीतताएँ   भी  पल  भर  में  अनुकूल  हो  जाती  हैं  l 
     लेकिन  जब  काल  अपने  साथ  नहीं  होता  ,  तब  ऐसे  विपरीत  समय  में  कोई  ज्ञान , कोई  तप,  कोई  साधन  काम  नहीं  आता   l  कोई  अपना  भी  साथ  नहीं  देता  l   सब  कुछ  धरा  का  धरा  रह  जाता  है  l  काल  की  विपरीत  दशा  में  हमें  शांत  व  स्थिर  बने  रहना  चाहिए  l  प्रभु  द्वारा   निर्धारित  स्थान  पर  रहकर    धैर्य  और  ईश्वर विश्वास   के  सहारे   अनुकूल  समय  की   प्रतीक्षा  करनी  चाहिए  l  जो  काल  की महिमा  से  अवगत  होते  हैं   वे  उसे प्रणाम  कर  के  स्वयं  को  उसके  अनुकूल  ढाल  लेते  हैं   l  

13 February 2018

WISDOM ------ जीवन में मौन का अभ्यास जरुरी है , इससे वाद - विवाद थमेंगे

' अनावश्यक  बोलने  में  जितनी  गलतफहमियाँ  और  समस्याएं  पैदा  होती  हैं ,  उतनी  मौन  से  नहीं  होतीं  हैं  l  निरर्थक  बोलना  बहुत  थकाने  वाली  प्रक्रिया  है  l  इससे  शरीर  में  गर्मी  पैदा  होती  है  l  जब  लोग  इतने  पढ़े - लिखे  और  बुद्धिजीवी  नहीं  थे , तब  कम  बोलते  थे  और  ज्यादा  प्रमाणिक  थे  l '
  आज  शरीर  में  उष्णता  बढ़ने  का  एक  कारण  यह  भी  है  --- निरर्थक  बोलना  और  जरुरत  से  ज्यादा  बोलना  l  मौन  रहने  से  अनावश्यक  कलह - क्लेश  नहीं  होंगे   और  शांति  का  साम्राज्य  फैलेगा  l
     महात्मा  गाँधी  भी  अपनी  दिनचर्या  में   मौन  रहने  का  नियमित  अभ्यास  करते  थे   l  सोमवार  उनके  आश्रम  में ' मौनवार  ' के  नाम  से  जाना  जाता  था  l  इस  दिन  सारे  आश्रमवासी मौन  रहते  थे  l  महात्मा  गाँधी  के  लिए  मौन  एक  प्रार्थना  के  समान  था  l  उनका  कहना  था  ---- " बोलना  सुन्दर  कला  है ,  लेकिन  मौन  इससे  भी  ऊँची  कला  है  l  मौन  सर्वोत्तम  भाषण  है  l  अगर   एक  शब्द  से  काम  चले ,  तो  दो   मत  बोलो   l "
  संत  एमर्सन  का  कहना  था ---- " आओ  हम  मौन  रहें ,  ताकि  फरिश्तों  की  कानाफूसियाँ  सुन  सकें  l "
 मौन  आत्मा  का  सर्वोत्तम  मित्र  है  l  जब  हम  मौन  धारण  करते  हैं  तो  सहज  ही   प्रकृति  का  अंश  बन  जाते  हैं   क्योंकि  प्रकृति  में   तो  सर्वत्र  मौन  पसरा  हुआ  है  l 

10 February 2018

WISDOM ---- कुकर्मी को दंड देना अनिवार्य है , अन्यथा उसका दुस्साहस बढ़ जाता है

 जार्ज  विलियम  प्रतिदिन  गिरजाघर  जाते  थे   और  गरीब  व  असहायों  की  भरपूर   सेवा  भी    करते  थे  l  एक  दिन  वे  प्रार्थना  कर  लौट  रहे  थे  कि  उन्होंने  देखा  कि   एक   दुष्ट  व्यक्ति  किसी  असहाय  को  सता  रहा  है  l  उन्होंने  उसे  समझाया  कि  किसी  कमजोर  को  प्रताड़ित  करना  पाप  है  ,  तो  उसने  गुस्से  में  आकर  उनके  गाल  पर  एक  तमाचा  मार  दिया  l  जार्ज  ने  दूसरा  गाल  भी  उसकी  और कर  दिया  l  उसने  उस  गाल  पर  भी  प्रहार  कर  दिया  l    ऐसा  होते  ही  जार्ज  विलियम  ने  उसे  उठाकर  जमीन  पर  पटक  दिया  l  भीड़  में  खड़े  चर्च  के  पादरी  ने  यह  द्रश्य  देखा  तो  बोले ---- "जार्ज !  तुम  तो  ईसा  के  महान  भक्त  हो  ,  फिर  इस  व्यक्ति  पर  प्रहार  क्यों  कर  रहे  हो   ? " 
  जार्ज  बोले ---- "  प्रभु  ईसा  ने  कहा  है  कि  कोई  तुम्हे  एक  चांटा  मारे  तो   दूसरा  गाल  उसके   सामने  कर   दो   l  मैंने  इसका  पालन  करते  हुए   अपना  दूसरा  गाल  भी  इसके  आगे  कर  दिया     किन्तु  मैंने  यह  भी  पढ़ा  है   कि   अत्याचार  सहन  करना  किसी  पाप  से  कम  नहीं  है   l  इससे  ज्यादा  कुकर्म  करने  की   छूट   देने  पर  इसका  दुस्साहस    बढ़   जाता  ,  इसलिए  मैंने  इसे  सबक  सिखाना  उचित  समझा   l  कुकर्मी  का  प्रतिकार  करना  भी  धर्म  के  समान  ही  है  l  

9 February 2018

WISDOM -----

    कैकेयी  मंथरा  के  बहकावे में  आ  गई  और   भरत  को  राज्य  तथा  राम  को   वनवास  मांग  बैठी   l   दशरथ जी  ने  शरीर  त्याग  दिया ,  कौशल्या  पर  दुःख  का  पहाड़  टूट  पड़ा   परन्तु  एनी  माताओं  के  सम्मान  का  उन्हें  पूरा  ध्यान  था  l   राजा  जनक  ने  सुना  कि  जानकी  भी  साथ  गईं  हैं  l  उन्होंने  दूतों  द्वारा  सही  स्थिति  का  पता  लगाया  और  भरत  का  समर्थन  करने  चित्रकूट  पहुँच  गये   l  भरत  के  कारण  राम - सीता  को  वनवास  हुआ  ,  इस  नाते  उनको  अपमानित  करने  का  भूलकर  भी  प्रयास  नहीं  किया  l    ऐसे  एक  दूसरे  के  सम्मान  के  भाव  ने   विकट  परिस्थितियों  में  भी  अयोध्या  का  संतुलन  बनाये  रखा   l  भूल  सिर्फ  भूल  रह  गई  ,  उससे  परस्पर  स्नेह   और  पारिवारिक  सद्भाव  में  कोई  फर्क  नहीं  पड़ा   l  
  इसके  विपरीत   महाभारत  एक - दूसरे  को  सम्मान  न  दे  पाने  की   भीषण  प्रतिक्रिया  के  रूप  में  उभरा  था   ---  बचपन    में  दुर्योधन  राजमद  में  पांडवों    सम्मान  न  दे  सका   l  भीम   सहज   प्रतिक्रिया   के  रूप  में   अपने  बल  का  उपयोग  कर  के  उन्हें    अपमानित   करने   लगे  l    द्रोपदी  सहज  परिहास  में  भूल  गई  कि   दुर्योधन  को  ' अंधों  के  अंधे  '  संबोधन  से  अपमान  का  अनुभव  हो  सकता  है   l 
  दुर्योधन  ईर्ष्या - द्वेष वश   नारी  के  शील  का  महत्व  ही  भूल  गया   तथा  द्रोपदी  को  भरी  सभा  में  अपमानित  करने  पर  उतारू  हो  गया   l 
  यही  सब  कारण  जुड़ते  गए  तथा  छोटी - छोटी  शिष्टाचार  की  त्रुटियों  की   चिनगारियां  भीषण  ज्वाला  बन  गईं,  महाभारत  हो  गया  l
  यदि  परस्पर  सम्मान  का  ध्यान  रखा  जा  सका  होता  ,  अशिष्टता  पर  अंकुश  रखा  गया  होता   तो  स्नेह  बनाये  रखने  में   कोई  कठिनाई  नहीं   होती  l  छल - कपट  और  षड्यंत्रों  में  वक्त  बरबाद  न  होता ,  भीष्म  पितामह  और   श्रीकृष्ण  जैसे  युग - पुरुषों  के  प्रभाव  का  लाभ  मिल  जाता  l  

8 February 2018

WISDOM ------

        तानसेन  के  गुरु  हरिदास  महाराज  थे  l  उनकी  प्रसिद्धि  सुनकर  अकबर  ने  भी  उनसे  मिलने  की  और  उनका  संगीत  सुनने   की   इच्छा  प्रकट  की  l    तानसेन  मित्र  बनाकर   अकबर  को  ले  गए  l  गुरु  ने  कहा ---- " मैं  कन्हैया  के  सिवाय  किसी  के  लिए  नहीं  गाता  l  "  अकबर  ने  छिपकर  उनका  वंदना -भक्ति  गायन  सुना   और  फिर  समर्पित  भाव  से  उनके  चरणों  में  बैठ  गए   और  बोले  ---- " मैं    हिंदुस्तान  का  सम्राट  होने  के  नाते  ,  इस  वृन्दावन  के  लिए  और  यमुना  नदी  के  घाटों  के  लिए   क्या  कर  सकता  हूँ  ,  कृपया  आज्ञा  दें  l " 
  अकबर  के  सिर  पर   अपना    हाथ  रखकर   हरिदास  महाराज  ने  वह  दिव्य  धाम  दिखाया  ,  जहाँ  श्रीकृष्ण  की  नित्य  लीलाएं  होती  हैं   l   भावसमाधि  से  निकाल कर  कहा --- "  तुम  क्या  निर्माण  कराओगे  ?  क्या  इस  दिव्य  धाम  को  तुम  जैसा  लौकिक  व्यक्ति  ठीक  कराएगा  l   जाओ  ,  सत्ता  संभालो  l  "    अकबर  वापस  आ  गया  ,  उसने  जो  देखा  वह  अद्भुत  था   l 

7 February 2018

WISDOM ------ कर्म तभी शुभ है जब वह धर्मयुक्त है , कर्मक्षेत्र ही धर्मक्षेत्र है l

    आज  मनुष्य  का  जीवन    धर्म  के  मार्ग  से  भटक  गया  है  , वह  गलत  कामों  को  भी  धर्मसंगत  समझता  है   l  आज  मनुष्य  ने  अपने   कर्मों    से  प्रकृति  को  क्षुब्ध  कर  रखा  है   l  पर्यावरण  को  प्रदूषित  कर  रखा  है  l  जीवन  असंतुलित  हो  गया  है   और  इसका  परिणाम  है  कि  नित  नई  बीमारियाँ  पैदा  हो  रहीं  महीन ,  प्रकृति  चक्र  गड़बड़ा  गया  है   l   भगवद्गीता  का  सन्देश  है  कि  हम   अपने  कर्मक्षेत्र  को  ही  धर्मक्षेत्र  बनाये   l   समर्पित  भाव  से  कर्म  करें  l 

6 February 2018

WISDOM --------- अहंकार से विवेक का नाश होता है

  अहंकारी  को  कभी  शान्ति  नहीं   मिलती  l  अहंकार  को  पोषण देने  वाला  इसे  प्रिय  होता  है  l  जो  व्यक्ति  अहंकार  के  साथ  जीता  है  , वह  हमेशा  चिंतित  रहता  है   l  उसे  हमेशा  परेशानी  बनी  रहती  है  कि  कौन  प्रशंसा  कर  रहा  है  ?  कौन  अपमान  कर  रहा  है ?  कौन  सम्मान  कर  रहा  है  ?   उसका  व्यक्तित्व  दूसरों  पर  निर्भर  है  l  अहंकार  हमेशा  औरों  पर  निर्भर  होता  है  l
  अहंकार  को  समाज  छीन  सकता  है  l  संसार  जिसको  आज  महामानव  बता  रहा  है  ,  कल  उसी  को  पापात्मा ,  दुरात्मा  कह  सकता  है  l  संसार  में  ऐसे  अनेकों  महामानव  हैं  ,  जिन्हें  कल  पूजा  जा  रहा  था ,  आज  वे  जेल  में  बंद  हैं  l  लोग  उन्हें  गाली  देते  हैं  ,  उनके  ऊपर  जूते  फेंकते  हैं  l  वही  समाज  है ,  वही  लोग  हैं   l  जरुरी  नहीं  कि   समाज  पहले  सही  था  या  अब  सही  है  l  बात  सिर्फ  इतनी  है  कि  समाज  दोनों  काम  कर  सकता  है   l  इसलिए  अहंकारी  को  चैन  नहीं  है  l 
   लेकिन  जो  ईश्वर  पर  विश्वास  रखते   हैं ,   भगवान  के  शरणागत  हैं  ,  उन्हें   इस  बात  की  चिंता  नहीं  रहती   कि  लोग  क्या  कहते  हैं  ,  कहते  रहें   l  वह  तो  निष्काम  भाव  से   अपना  कर्तव्य  करते  हुए  ईश्वर  की  शरण  में  श्रद्धाभाव  से  रहता  है   l   

5 February 2018

WISDOM ----- जीवन जीने का ढंग बदलना होगा

 सुखी  और  स्वस्थ  रहने  के  लिए  दुष्प्रवृत्तियों  का  त्याग  कर   सन्मार्ग  पर  चलना  होगा   l '
     मनुष्य  अपने  जीवन  जीने  के  ढंग  को  रूपांतरित  करे  ---- इसे  समझाने  वाली  एक  कथा  है -----
   '  एक  गाँव  पहाड़ियों  के  नीचे  की  घाटियों  में  बसा  था  l  वर्षा  होती  तो  नदियाँ  उफनती   और  लोगों  के  घर  बह  जाते  l  खेती - बारी  नष्ट हो  जाती , जानवर  बह  जाते  l  बच्चे  प्राय:  डूबते  रहते  l  आंधियां  आतीं  तो  पहाड़  से  पत्थर  गिरते ,  अनेक  लोग  उसमे  दबकर  मर  जाते  l   उस  गाँव  की  जिन्दगी  बड़े  कष्ट  में  थी  ,  लेकिन   उस  पहाड़ी  गाँव  के  लोगों  ने  मान  लिया  था   कि  जीने  का  यही  ढंग  है  l   उनके  पुरखों  ने  यही  जीवन  जिया  था  l  अब  उनके  बाद  उनके  बच्चे  भी  यही  जीवन  जीने  वाले  हैं  l   बाढ़ ,  आंधी ,  पत्थर  गिरना --- इन  कष्टों  को  सहना  और  फिर  मर  जाना  l
     एक  यात्री  उस  पहाड़ी  गाँव  में  पहुंचा   l  उसने  उन्हें  समझाने  की  कोशिश  की  कि  तुम  सब  नासमझी  का  जीवन  जी  रहे  हो  l  यहाँ  रहते  हुए  तुम्हारी  समस्या  कभी  हल  न  हो  सकेगी   l   इस  खाईनुमा  घाटी  को   छोड़ो,  देखो  इतने  अच्छे  पहाड़  तुम्हारे  चारों  और  हैं  ,  इनके  ढलान  पर  अपने  मकान  बनाओ  l   गाँव   के  लोगों  ने  अनेक  तर्क  किए---  क्या  इससे  ऊँचे   पर    मकान   बनाने  से   हमारी  समस्या  हल  हो  जाएगी ,  वर्षा  तो  तब  भी    आएगी ,  आंधियाँ   भी   उठेंगी  l
  मुसाफिर  ने  हँसते  हुए  कहा  --- उंचाई  पर  मकान  बनाने  से  ये  खाई  वाली  समस्याएं  नहीं  रहेंगी  ,  समस्याओं   का     यह  असहनीय  रूप  नहीं  रहेगा  l 
  पुराने  जीवन  के  ढंग  को  बदलने  के  लिए  बड़ी  हिम्मत  चाहिए  l  उस  गाँव  के  लोगों  ने  हिम्मत  जुटा  ली   l  उन्होंने  अपने  जीवन  में ,  अपने  मकानों  की  स्थिति  में  परिवर्तन  कर  लिया  l    इस बदली  हुई  स्थिति  से  उन्हें  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  l  वर्षा  तो  खूब  हुई ,  नदी  भी  उफनी ,  र  अब  उनके  मकान  न     बहे    बच्चे  न   डूबे l  आंधियां  भी  आईं,  पत्थर  भी  गिरे  ,  लेकिन  अब  उनमे  से  कोई  दबा  नहीं   क्योंकि  उन  सबने  मिलकर    अपने   जीने     का  ढंग  बदल लिया   l  उनका  जीवन  जीने     ढंग  अब  रूपांतरित  हो  चुका  था  l  उन्होंने  अपने  इस  जीवन   का  भरपूर  आनंद  मनाया ,  उत्सव  मनाया  l  

4 February 2018

WISDOM ------

    एक  बार    भारत    के  महामहिम  राष्ट्रपति    ए. पी. जे. कलाम  से  एक  बच्चे  ने  पूछा  कि  क्या  उन्होंने  महाभारत  पढ़ा  है  ?   उन्होंने  कहा -- हाँ  l  तब  उस  बच्चे  ने  अगला  प्रश्न  किया  कि   इसमें  कौन  सा  चरित्र   उन्हें  सबसे  ज्यादा  प्रिय  है   l  तब  राष्ट्रपति  महोदय  ने  उस  बच्चे  को  बताया  कि   वे  महात्मा  विदुर  के  चरित्र  से  खासा  प्रभावित  हुए   l 
  बच्चे  ने  उनसे  फिर  पूछा ---- ' क्यों  ?   उत्तर   में    उन्होंने  कहा ---- "  क्योंकि  महात्मा  विदुर  ने   सत्ता  की  गलत  हरकतों  के  खिलाफ  आवाज  उठाई   और  अधर्म  की  ज्यादतियों  के  विरुद्ध  उस  स्थिति  में  भी  मोरचा  खोलने  का  साहस  किया  ,  जब  अतिरथी  पितामह   भीष्म ,   आचार्य  द्रोण,   महावीर कर्ण  आदि  सब  वीरों  ने  हथियार  डाल  दिए   थे  l  "   महामहिम  के  इस  उत्तर  में  उनका  स्वप्न शामिल  था  l 

2 February 2018

जाति से महानता नहीं मिलती , ऊँचे बनना चाहते हो तो अच्छे कर्म करो ---- संत रविदास

  ' जिस  तरह   फूलों  से  खुशबू  ही  आती  है  ,  भले  ही  वे   कैसी  ही  भूमि  में  खिले  हों  l  उसी  तरह  उच्चस्तरीय  आत्माएं   कहीं  भी  जन्म  ले  लें ,  उनके  सद्गुणों  की  सुगंध   चारों  ओर  स्वत:  ही  फैल  जाती  है  l  '  
   संत  रविदास  बचपन  से  ही  बड़े  उदार  थे  l    वे  सोचते  थे    कि  सामर्थ्यवानो  को  अपनी  सम्पदा  में  से  निर्धनों  की  मदद  करनी  चाहिए  , अन्यथा  संग्रह  किया  हुआ  अनावश्यक  धन   उनके  लिए  विपत्ति  रूप  ही  सिद्ध  होगा  l   संत  रविदास  के  पिता  चमड़े  का  व्यापार  करते  थे ,  जूते  भी  बनाते  थे  l   संत  रविदास  प्रतिदिन  एक  जोड़ा  जूता  अपने  हाथ  से  बनाकर  जरुरतमंदों  को  दान  किया  करते  थे  l  उनकी  सच्चाई  में  निष्ठा  की  परख  करते  हुए   रामानंद  जैसे  महान  संत    कुटिया  में   पधारे   और  उन्हें  अपने  शिष्य  रूप  में  स्वीकार  किया   l
  उच्च  वर्ग  के  कहलाने  वाले  लोगों  को  संत  रविदास  की  प्रतिष्ठा  सहन  नहीं  होती  थी  ,  अत:  वे  उनकी  निंदा  व  उपहास  करते  थे  l   इस  पर  संत  रविदास  हँस  देते  और  कहते ---- " हाथी  अपने   रास्ते  चला  जाता  है  ,  उसे  किसी  के  धूलि  फेंकने   या  चिढ़ाने  से   विचलित  होने  की  जरुरत  नहीं  होती  l  "
धैर्य , साहस  और  सच्चाई   जिसके  साथ  है  ,  उसका  सारा  संसार  भी  विरोधी  होकर  कुछ  बिगाड़  नहीं  सकता   l   उन्होंने   घ्रणा  का  प्रतिकार  घ्रणा  से  नहीं  किया  ,  बल्कि  प्रेम  से  किया  ,  इसलिए  वे  हर  इनसान  के  लिए   प्रेरणा  स्रोत  बन  सके  l    जीवन  मानवता  के  लिए  मिसाल  है  l