12 January 2024

WISDOM ------

 जब -जब  होता  नाश  धर्म  का   और  पाप  बढ़  जाता  है  ,  तब  लेते  अवतार  प्रभु  यह  विश्व  शांति  पाता  है  l    कलियुग  की  परिस्थितियां  कुछ  ऐसी  हैं  कि  सम्पूर्ण  संसार  में  अशांति  है  l  बेवजह  के  युद्ध , तनाव , दंगे  , मनमुटाव  ---- असुरता  हावी  है   l  इस  संसार  में  आदिकाल  से  ही  देवासुर  संग्राम  ,  अँधेरे  और  उजाले  का  संघर्ष  रहा  है  l  प्राचीन  काल  में  और  इस  कलियुग  में  अंतर  केवल  इतना  है   कि  पहले  असुर  सामने  थे  , असुर  के  रूप  में  उनकी  पहचान  थी  ,  रावण  गर्व  से  स्वयं  को  राक्षसराज  रावण  कहता  था  l   अति  आवश्यक  होने  पर  ही  वे  अपना  वेश  बदलते  थे   जैसे  रावण ,     सीता  हरण   के  लिए   कटोरा  लेकर  भिखारी  बन  गया  l   रावण  के  कहने  पर  मारीच  ने  भी  अपना  रूप  बदला  l  रावण  की  बहन  भी  वेश  बदलकर   राम , लक्ष्मण  को  लुभाने  गई   तो  अपनी  नाक  कटा  आई  l   द्वापरयुग  में  भी  स्पष्ट  था   कि  दुर्योधन  आदि  कौरव  षड्यंत्रकारी  हैं  , अधर्म  के  मार्ग  पर  हैं   l  ऐसे  में  ईश्वर  के  लिए  भी  सरल  था  कि  राक्षसों  को ,   अत्याचार , अन्याय  करने  वाले  षड्यंत्रकारियों   का  अंत  करना  है  l  लेकिन  कलियुग  की  समस्या  बड़ी  जटिल  है  , अधिकांश  लोग  मुखौटा  लगायें  हैं  ,  जो  जैसा  दीखता  है  वो  वास्तव  में  वैसा  है  नहीं  l  सामान्य  व्यक्ति  के  लिए  तो   लोगों  की  असलियत  को  जानना  समझना   बहुत  कठिन  है  ,  केवल  ईश्वर  को  ही  पता  है  कि  कौन  देवता  है  और  कौन  असुर  है  l    देवता  तो  बहुत  ही  कम  हैं  , सन्मार्ग  पर  चलने  वाले  उपेक्षित  हैं  l  सम्पूर्ण  संसार  में  असुरता  ही  हावी  है  , इसलिए  ईश्वर  के  सामने  सबसे  बड़ा  संकट  यह  है  कि  यदि  सब  असुरों   का  अंत  कर  दें  तो  देवता  तो  इतने  कम  हैं  , फिर  ये  संसार  कौन  चलाएगा  ?  इसलिए  ईश्वरीय  न्याय  की  गति  बहुत  धीमी  होती  है  l  भगवान  को  यह  संसार  सबसे  ज्यादा  प्रिय  है  ,   वे  नहीं  चाहते  कि  असुरता  के  बोझ  से   इस  धरती  का  अंत  हो  जाये  ,  इसलिए  भगवान  सबको  सुधरने  का  मौका  देते  हैं  ,  कई  मौके  देते  हैं  कि  अब  तो  सुधर  जाओ  , सन्मार्ग  पर  चलो  l    इसमें  कई  वर्ष  निकल  जाते  हैं  , इतने  पर  भी  जब  वे  असुर  नहीं  सुधरते   तब  भगवान  उनका  अंत  करते  हैं  l