13 October 2021

WISDOM -----

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  मानव  मन  के  मर्मज्ञ  थे  ,  उनके  विचार  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाते  हैं   l   भावनाओं  के  संबंध   में  उन्होंने  लिखा  है  -----"   भावनाओं  का  हमारे  जीवन  में  महत्वपूर्ण  स्थान  है   l    सकारात्मक  भावनाएं   जहाँ  प्रसन्नता ,  हर्ष   ,  उत्साह ,  उमंग , साहस  ,  संतोष  व  आत्मविश्वास  के  रूप  में     अभिव्यक्त  होती  हैं  ,   वहीँ  नकारात्मक  भावनाएं   ईर्ष्या , द्वेष ,  दुःख ,  असंतोष  ,  चिंता ,  आत्महीनता , असुरक्षा   आदि  के  रूप  में  प्रकट  होती  हैं    और  व्यक्ति  के  स्वास्थ्य   को  नुकसान  पहुंचाती   हैं   l                                आचार्य श्री   लिखते  हैं ----- "  भावनाओं  में  बहकर   कभी  भी  अपने  जीवन  के   निर्णय  नहीं  लेने  चाहिएं   क्योंकि   ऐसी  नाजुक  मन: स्थिति  में   लिए  गए  निर्णय   भविष्य  के  लिए   अत्यंत  हानिकारक  सिद्ध  होते  हैं   l   भावनाओं  पर  नियंत्रण  पाने  के  लिए   हमें  अपने  जीवन  में  कठोर  श्रम  करना  चाहिए   और  उससे  मिलने  वाले  परिणामों  को  स्वीकार  करना  चाहिए  l  यदि  परिणाम  आशा  के  अनुकूल  है  तो  ईश्वर  के  प्रति  कृतज्ञ  होना  चाहिए    और  आशा  के  विपरीत  होने  पर   अपनी  कमियों  पर  ध्यान  देकर  उन्हें  सुधारना  चाहिए   l "   आचार्य श्री  एक  बात  और  समझाते   हुए  कहते  हैं ----- ' अपने  जीवन  में  चाहें  जितने  भी   रिश्ते  हों  ,   लेकिन  एक  रिश्ता   भगवान  से  भी  रखना  चाहिए  और  अपने  मन  की   हर  बात  को  उनसे  बताना  चाहिए   l   यह  संवाद  भले  ही   एकतरफा  होता  है  ,  लेकिन  जिंदगी  में  बहुत  सारी   उलझनों  को  सुलझाता  है   l   इससे  हमारी  भावनाओं  को  सम्बल  मिलता  है   कि  कहीं  कोई  तो  है  ,  जो  हमारा  ध्यान  रखता  है   और  मुसीबत  के  समय  भी  हमें  गिरने  नहीं  देता  है  ,  संभाल  लेता  है   l   आचार्य श्री  कहते  हैं  ---इसके  साथ  ही    अपने   कर्तव्य पालन  और     प्रबल  पुरुषार्थ  करने  से  भी  पीछे  नहीं  हटना  चाहिए   l  "