20 March 2020

WISDOM -----

  ' इस  संसार  का  सबसे  बड़ा  आश्चर्य  यही  है  कि   अपनी  आँखों  के  सामने  मृत्यु  का  तांडव  देखते  हुए  भी  व्यक्ति  छल - कपट , लोभ  - लालच ,  षड्यंत्र ,   भोग - विलास  के  जीवन  से  क्षण भर  के  लिए  भी  पीछे  नहीं  हटना  चाहता  l   स्वयं  को  अजर - अमर  समझकर   मनुष्य  जो  भी   नैतिकता  और  मर्यादा  के  विरुद्ध  कार्य  करता  है    उससे  समाज  पर  जो  प्रभाव  पड़ता  है वह  अलग  बात  है ,  ऐसा  कर  के  व्यक्ति    अपने  हाथ  से  अपना  दुर्भाग्य  लिखता  है   l '
  मनुष्य  के  दोहरे  चरित्र  से  अब  प्रकृति  भी  ऊब  गई  ,  प्रकृति  का  कहर  कुछ  ऐसा  हुआ  कि   धार्मिक  स्थल  पर  होने  वाले  कर्मकांड  भी  बंद  हो  गए  l  इस  घटना  के  माध्यम  से  ईश्वर  हमें  यह  सन्देश  देना  चाहते  हैं  कि --- बाहरी  आडम्बर  और  कर्मकांड   तभी  सार्थक  हैं  जब  आपने  अपने  व्यक्तित्व  का  परिष्कार  किया  हो  ,  अपनी  दुष्प्रवृतियों  को  त्याग  कर  सन्मार्ग  पर  चलने  का  ,  सद्गुणों  को  अपने  जीवन  में  अपनाने  का  प्रयास  शुरू  किया  हो   l   प्रकृति  का  स्पष्ट  सन्देश  है   कि   ईश्वर  का  निवास  हम  सबके  हृदय  में  है  ,  हम  अपनी  भावनाओं  को  परिष्कृत  करें , सद्गुणों  को  अपनाकर  ,  सन्मार्ग  पर  चलकर  अपने  हृदय  को  ही  मंदिर  बनायें ,  उसमे  बैठे  ईश्वर  को  जाग्रत  करें  l
  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  लिखते  हैं कि --- यदि  हम   अपनी  बुराइयों  को  त्याग  कर   सन्मार्ग  पर  चलने  का  संकल्प  लेते  हैं   तो  दैवी  शक्तियां  हमारी  मदद  करती  हैं  ,  लेकिन  ईश्वर  के  दरबार  में  झूठ  और  छल - कपट  नहीं  चलता  l  वे  हमारे  हृदय  में  बैठें  हैं  ,  हम  क्या  कर  रहे  हैं  और  क्या  सोच  रहे  हैं  ,  यह  सब  उनसे  छुपा  नहीं  है  l