24 October 2019

WISDOM ---- महाकाव्यों से प्रेरणा लें

 हमारे  महाकाव्य   हमें  बहुत  कुछ  सिखाते  हैं   l  हमारे  विवेक  को  जाग्रत  करते  हैं   l  अत्याचार , अन्याय  और  षड्यंत्रकारी  का  साथ  देने  का  परिणाम  कितना  भयंकर  होता  है ,  यह  महाभारत  से  ज्ञात  होता  है  --- महाभारत  में    शकुनि  के  षड्यंत्र  को   दुर्योधन  ने  स्वीकार  किया  l  पांडवों  को  राज्य  से  , उनके  हक  से  बेदखल  करने  के  लिए  मामा  शकुनि  ने  दुर्योधन  ने  जितने  षड्यंत्र  रचे   उसमे  सभी  कौरव  उनके  साथ  थे   यहाँ  तक  कि  धृतराष्ट्र ,  गुरु द्रोणाचार्य,  भीष्म  पितामह   ,  कर्ण    सब  मौन  रहे ,  अर्थात  समर्थन  किया  l  अपनी  ही  कुलवधु   द्रोपदी  के   चीर  हरण    की  शर्मनाक    घटना  पर  सब  मूक  बने  रहे  --- इसका  परिणाम  हुआ  -- महाभारत   l   जिसमें  महा विध्वंस  हुआ  l  यदि  दुर्योधन  और  शकुनि  के  इन  षड्यंत्रों  को  प्रारंभ  से  ही कोई समर्थन  नहीं  देता   तो   यह महाभारत  न  होता  l
    रामायण  में   मंथरा  व  कैकेयी  ने  षड्यंत्र  रचा    कि  भरत    को  राजगद्दी   और  राम  को  चौदह  वर्ष  का वनवास  मिले  l  राम  के  अनुज   भरत    ने  इस  षड्यंत्र  को  नहीं  माना   l  उन्होंने  भी   चौदह  वर्ष  तक   सब  सुख भोग  का  त्याग  कर  दिया  l  यहाँ  तक  कि  पूरी  अयोध्या  में  चौदह वर्ष  तक  कोई किलकारी  नहीं  गूंजी  ,  सभी अपने  प्रिय  राम   के  इंतजार  में  तपस्वी  का  जीवन  जीते  रहे  l   अयोध्या  में  पूरी  तरह  शांति  रही   l राम  ने  पिता  की  आज्ञा  का  पालन  किया  l  राम  वन  में  जहाँ  भी  गए  सबको  गले  लगाया  ,  कोल - भील , किरात ,  वानर  सबसे  प्रेम  से  मिले  ,  उनके  सान्निध्य  में  सबको  सुकून  व  शांति  मिली  l
              दूसरी  और  रावण    का  चारों  और  आतंक  था  l  वह   वेद , शास्त्रों का   विद्वान्  व महाज्ञानी और  महाबलवान  था   लेकिन  उसने  अपनी  शक्तियों  का  दुरूपयोग  किया   l  एक  लाख  पूत , सवालाख  नाती ,  सभी  राक्षस  जिसने  भी  उसका  साथ  दिया  सभी  का  अंत  हो  गया  l