4 September 2021

WISDOM -----

   एक  लघु  कथा  है  -----  रास्ते  से  जौहरी  गुजरा   l   उसने  देखा  की  एक  कुम्हार  गधे  के  गले  में   हीरा   बाँधकर   चला  जा  रहा  है     , चकित  होकर  जौहरी  ने  कुम्हार  से  पूछा  ---- " कितने  पैसे  लेगा  इस  पत्थर  के  ? "  कुम्हार  ने  कहा --- " एक   रुपया   l  '   जौहरी  बोला --- ' आठ  आने  लेगा  l  '  कुम्हार  ने  कहा --- ' चलो  बारह  आने  सही   l  ' जौहरी  का  लोभ   जागा ,  उसने  सोचा  --  मूर्ख    हीरे  को  पत्थर  समझ  कर  बेच  रहा  है  l   अभी  लौटेगा  तो  आठ  आने  में  दे  जायेगा   l   किन्तु  किसी  दूसरे  ने   वह  हीरा    पूरे   एक     रूपये  में  खरीद  लिया   l   जौहरी  को  सदमा  बैठ  गया  ,  कुम्हार  से  बोला ----- ' मूर्ख , तू  कोरा  गधा  ही  निकला   l   लाखों  का  हीरा  कौड़ियों  में   बेच  दिया   l  ' कुम्हार  बोला ---- ' यदि  मैं  गधा  न  होता  तो  क्या  हीरा  गधे  के  गले  में  बांधता  ,  किन्तु  आपको  क्या  कहा  जाये   ?  जब  आपको  पता  था  कि   हीरा  लाखों  का  है  ,  फिर  भी   कौड़ियों  में  दाम  चुकाने  में   कोताही  बरतते  रहे   ? '  ------- पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं   ---  हम में    से  कितने  ही  व्यक्ति  कुम्हार  और  जौहरी  की  तरह   हैं  ,    कुछ  तो  अनजाने  में  ही   इस  हीरे  की  भांति   बहुमूल्य  को  गँवा  देते  हैं   आओर  कुछ  जानते - समझते  हुए  भी    उसे   बरबाद   होते  देखते  रहते  हैं    l '