15 May 2019

WISDOM ----- अनीति द्वारा पाई हुई सफलता कभी भी संतोषदायक नहीं होती ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आचार्य जी  का मत है  कि   अनीति  का  धन - धान्य   मनुष्य  के  मन , बुद्धि  तथा  आत्मा  का  पतन  कर  देता  है   जिससे  वह  इतना  निर्बल  और  कायर  हो  जाता  है   कि  जरा  सी  प्रतिकूलता   आने  पर  घबरा  उठता  है   और  शीघ्र  ही  जीवन  से  भागने  की  कोशिश  करता  है   l  सफलता  बहुत  बड़े  मूल्य  पर  मिलती  है   l  जो  व्यक्ति  थोड़े  प्रयत्न  से  ही  मनोवांछित  सफलता  पाना  चाहते  हैं   वे  संकीर्ण  विचार  वाले  होते  हैं   जो  किसी  चीज  का  पूरा  मूल्य  दिए  बिना  ही  उसे  हस्तगत  करना  चाहते  हैं   l   ऐसे  लोभी - लालची  व्यक्ति  का  चरित्र   किसी  समय  भी  गिर  सकता  है  l 
 यथार्थ  उन्नति  के  लिए  उचित  आदर्शों  के  साथ  अपना  कर्तव्य करते  रहना  चाहिए  ,  समय  आने  पर  सफलता  अपने  आप   उपलब्ध  हो  जाएगी  l  

WISDOM -----

आलसी और अकर्मण्य के लिए संकटों और अभावों से छुटकारे का कोई उपाय नहीं l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है --- जो अपनी उपेक्षा करता है , उसे हर दिशा से उपेक्षा और तिरस्कार ही हाथ लगता है l दुर्बल शरीर को नई - नई किस्म की बीमारियाँ दबोचती हैं डरपोक को डराने के लिए जीवित ही नहीं मृतक भी भूत -प्रेत बनकर ढूंढते - खोजते आ पहुँचते हैं l आततायिओं को अपना शिकार पकड़ने के लिए कायरों की तलाश करनी पड़ती है l शंकाशील लोगों को बिल्ली भी रास्ता काटकर डरा देती है l अरबों - खरबों मील दूर रहने वाले ग्रह - नक्षत्र भी अपनी प्रकोप मुद्रा उन्ही को दिखाते हैं जिन्हें अकारण भयभीत होने में मजा आता है l आचार्यजी का मत है कि अपनी दुर्बलताओं को खोजें , उनसे घ्रणा करें और उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए जुट जाएँ l

WISDOM-----

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने अखंड ज्योति में लिखा है कि --- आलस्य और प्रमाद में पड़ा हुआ व्यक्ति यह देख ही नहीं पाता कि उसके सौभाग्य का सूर्य दरवाजे पर हर दिन आता है और कपाट बंद देखकर निराश वापिस लौट जाता है l आचार्य जी ने आगे लिखा है --- ईश्वर ने मनुष्य को एक साथ इकट्ठा जीवन न देकर उसे अलग - अलग क्षणों में टुकड़े -टुकड़े कर के दिया है l नया क्षण देने से पूर्व वह पुराना वापिस ले लेता है और देखता है कि उसका किस प्रकार उपयोग किया गया l इस कसौटी पर हमारी पात्रता को परखा जाता है l यदि उन क्षणों की उपेक्षा की , तिरस्कार किया तो वे दुखी और निराश होकर वापिस लौट जाते हैं किन्तु यदि उनका स्वागत किया जाये , सदुपयोग करें तो वे बहुमूल्य क्षण मूल्यवान संपदाओं का उपहार देकर ही जाते हैं l