5 May 2022

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- अहंकारी  के  लिए   दूसरे    क्या  कहते  हैं  यह  मूल्यवान  है  l  प्रशंसा  झूठी  भी  हो  तो  अच्छी  लगती  है  l  जो  आदमी  अहंकार  के  साथ  जीता  है  ,  वह  हमेशा  चिंतित  रहता  है  ,  उसे  हमेशा  परेशानी  बनी  रहती  है  कि  कौन  निंदा  कर  रहा  है  ,  कौन  प्रशंसा  कर  रहा  है   l   उसका  व्यक्तित्व  दूसरों  पर  निर्भर  है  l   लेकिन  जो  अहंकार शून्य  हैं  ,  वे  व्यक्ति   हर  स्थिति  में   शिकायत  के  स्थान  पर  समाधान  निकाल  लेता  है   l  कवि    पाब्लो    नरूदा  अपनी  जीवनी जीवनी  में  लिखते  हैं---- 'आलोचना  का  सामना सामना  मुझे  अपनी  पहली  ही  कविता   के  लिए  करना  पड़ा  ,  वह  भी  अपने  माता -पिता पिता   के  द्वारा  l  पाब्लो  कहते  हैं   कि   यह  कविता  उन्होंने  अपनी  सौतेली  माँ  के  लिए  लिखी l   कविता  उन्होंने  जब  अपने  माता -पिता   को  दिखाई   तो    उन्होंने  छूटते  ही  कहा कहा  --- " कहाँ  से  नक़ल  मारी  ? "  पाब्लो  ने  अपनी  इस  आलोचना  को  सीख  की  तरह  लिया   l  उनके  दिमाग  में  यह  बात  बैठ  गई  कि  ' बस  काम  करते  जाओ  ,  आलोचनाएँ  तो  होती  रहेंगी l  इनमें  से  ज्यादातर   कूड़ेदान  में   फेंकने  वाली   होंगी l  इनसे  क्या  घबराना  ? '