कहते हैं त्रेतायुग में सर्वप्रथम भगवान राम के बड़े पुत्र महाराज कुश ने राम जन्मभूमि पर मंदिर बनवाया था l -------- वक्त बीतता गया ----- ईसा पूर्व पहली शताब्दी में महाराज विक्रमादित्य भारत भ्रमण करते समय अयोध्या पहुंचे वहां उनको वीरान और उजड़ी हुई अयोध्या मिली l सरयू नदी का जल पवित्रतम बना हुआ था , उन्होंने वहां राम जन्मभूमि पर दूसरी बार भव्य मंदिर का निर्माण कराया l राजा विक्रमादित्य द्वारा राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के संबंध में कई रोचक कथाएं प्रचलित हैं , वे इस प्रकार हैं ------ " एक दिन सरयू तट पर खड़े महाराज विक्रमादित्य ने देखा कि एक काला हंस आया l उसने सरयू में डुबकी लगाईं , डुबकी लगाकर जब वह निकला तो वह पूरा सफ़ेद , शुभ्र - श्वेत हो गया l महाराज की उत्सुकता जागी , अपने योगबल से उसे रोका और उससे इस परिवर्तन का कारण पूछा l तब उसने बताया कि वह तीर्थ प्रयाग है , जिसमे प्रतिवर्ष हजारों -लाखों लोग स्नान कर के अपने पाप छोड़ जाते हैं जिससे वह काला हो जाता है l इस पाप से मुक्ति पाने के लिए वह प्रति वर्ष अयोध्या आकर भगवान राम के चरणों में समर्पित होकर सरयू जी में स्नान कर के अपनी कालिमा समाप्त कर लेता है l महाराज ने जन्मभूमि स्थान जानने की जिज्ञासा प्रकट की तो तीर्थराज प्रयाग ने उन्हें बताया कि अगले दिन एक बुढ़िया आएगी जो उन्हें सब बताएगी l वास्तव में दूसरे दिन वहां एक वृद्धा आई उसने जन्म भूमि के साथ और भी विभिन्न स्थान बताये , उन स्थानों को चिन्हित कर के महाराज विक्रमादित्य ने वहां मंदिर बनवाये l तीर्थराज प्रयाग ने यह भी बताया कि गाय बछड़ा घूमते मिलें और जिस स्थान पर गाय के थनों से दूध टपकने लगे वही राम जन्मभूमि है l इसी तरह एक और कथा है कि रामनवमी के दिन महाराज सरयू नदी के किनारे भ्रमण कर रहे थे कि एक काला पुरुष काले घोड़े पर सवार होकर आया और सरयू में घोड़े सहित डुबकी लगाईं , डुबकी के बाद वे दोनों सफ़ेद हो गए l वे भी तीर्थराज प्रयाग थे प्रतिवर्ष चैत्र की रामनवमी को वे आते हैं l उन्होंने महाराज विक्रमादित्य को प्राचीन अयोध्या के वे सब गुप्त स्थान बताये और उनसे अयोध्या के जीर्णोद्धार के लिए कहा l विक्रमादित्य ने उन स्थानों को भाले से चिन्हित किया और 360 मंदिर बनवाये जिनमे एक मंदिर रामजन्मभूमि का था l इस मंदिर में कसौटी के 84 कलात्मक खम्भे लगाए गए l ऐसा माना जाता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी लंका से इन्हे लाये थे जिन्हे महाराज कुश ने मंदिर निर्माण में लगाया था l ------