1 January 2013

THOUGHTS

सद्विचार ही संसार में सर्वश्रेष्ठ हैं ।जीवन रूपी क्षेत्र में विचार एक बीज के समान है ,जैसा विचार होगा ,वैसा ही उसका फल होगा ।सैंकड़ों मार्गों में बहती हुईनदी में क्या जहाज चल सकता है ?इसी प्रकार सैंकड़ो वस्तुओं में बिखरी हुई मनोवृति कुछ करने में समर्थ नहीं हो सकती ।विचार और क्रिया के परस्पर विपरीत दिशा में चलते रहने से किसी कार्य में सिद्धि प्राप्त नहीं होती ।सफल व्यक्ति अपने विचार तथा बाह्य कर्म में पर्याप्त समन्वय करने की अपूर्व क्षमता रखतें हैं ,अपने विचारों को जीवन देते हैं ,उन्हें अपने जीवन में उतारते हैं ।अनुभव कर्म से प्राप्त होता है ।कर्म के साथ ही जीवन में सफलता जुड़ी होती है ।