3 September 2018

WISDOM ---- ईश्वर हमारे सामने हों तब भी मनुष्य अपने अज्ञान के कारण उन्हें पहचान नहीं पाता

 मनुष्य  देह  धारण  कर   ईश्वर  धरती  पर  आते  हैं  लेकिन  मनुष्य   अपने  स्वार्थ ,  अहंकार  और  अपने  ही  संसार  में  इस  तरह  डूबा  रहता  है  कि  वह  उन्हें  पहचान  नहीं  पाता  l   बड़ी - बड़ी  अवतारी  लीलाएं  करने  के  बाद  भी  लोग   भगवान  श्रीकृष्ण  को    समझ  नहीं  पाए   l  दुर्योधन  हो  ,  शिशुपाल  हो  या  धृतराष्ट्र   सभी  उन्हें  मनुष्य  भाव   में  ही  मानते  रहे   l  किसी  ने  उन्हें   यादव पुत्र  कहा ,  किसी  ने  ग्वाला ,  किसी  ने  मायाजाल  फ़ैलाने  वाला  कहा  l   दुर्योधन  ने  तो  संधि  के  लिए  गए   श्रीकृष्ण  के  लिए  सारा  जाल  ही  बुन  दिया  था  कि  यहीं  इस  ग्वाले  के  बेटे  को  खत्म  कर  दिया  जाये  l  भगवान  ने  जब   अपना   विराट   रूप  दिखाया ---  ' हाँ   दुर्योधन  बाँध  मुझे ,  जंजीर  बढ़ा  कर  साध  मुझे
                            यह  देख गगन  मुझमे  लय  है ,  यह  देख  पवन  मुझमे  लय ----------
 विराट  रूप  को  भी  अहंकारी  दुर्योधन  ने  मायाजाल  कहा   l  बाद  में  जब   थोड़ा  होश  आया   तो  कहता  है --- जानामि  धर्म  न  च  मे  प्रवृति  ,  जानामि  अधर्म  न  च  मे  निवृति  l
 दुर्योधन ने  कहा --- मैं  धर्म  को  जानता  हूँ  किन्तु  उस   ओर  मेरी  प्रवृति  नहीं  है  ,  मैं  अधर्म  को  भी  जानता  हूँ  पर  उससे  मैं  मुक्त  नहीं  हो  पा  रहा  हूँ l l 

  अज्ञानी  ऐसा  ही  होता  है    l