18 September 2013

GAYTRI MANTR

गायत्री  महामंत्र  मानवीय  भावनाओं  और  विचारणाओं  को परिष्कृत  एवं  श्रेष्ठ  बनाता  है  । सुप्रसिद्ध  मन: चिकित्सक एच . एफ . डन्बार  ने  कहा  है  कि  जिनका  अंतराल  और  मन: संस्थान  श्रेष्ठ  भावनाओं  और  सद्विचारणाओ  से  लबालब  भरा  रहता  है , प्रसन्न  और  प्रफुल्ल  रहना  जिनकी  प्रकृति  बन  जाती  है , उनका  शरीर  सदैव  स्वस्थ  रहता  है  ।  बाह्य  उपचार  एवं  औषधियों  से  भी  जिन  रोगों  का  उपचार  नहीं  हो  पाता , अंत: करण  एवं  मन -मस्तिष्क  तथा  प्राण  को  परिष्कृत  करने  वाले  गायत्री  महामंत्र  का  नियमित  जप  रोगों  का  शमन  करके  स्थायी  स्वास्थ्य  प्रदान  करता  है  ।
 गायत्री  मंत्र  के  24  अक्षरों  में  जो  शिक्षाएँ  भरी  पड़ी  हैं , वे  सभी  ऐसी  हैं  कि  उनका  चिंतन -मनन  करने  वाले  में  अभिनव  चेतना  जाग्रत  होती  है  ।  कल्याणकारी  नीति  पर  चलने  से  मनुष्य  को  सुख -शांति  प्राप्त  होती  है  ।