14 March 2024

WISDOM ----

  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  अहंकार  ज्ञान  के  सारे  द्वार  बंद  कर  देता  है  l  अहंकारी  की  प्रगति  जितनी  तीव्र   होती  है  ,  उसका  पतन  उससे  भी  अधिक  तीव्र  गति  से  होता  है  l   जीवन  में  पूर्णता  की  प्राप्ति   पात्रता  एवं  नम्रता  से  होती  है  ,  अभिमान  और  अहंकार  से  नहीं  l "                                                      ---- एक  दिन  पानी  से  भरे  कलश  पर   रखी  हुई  कटोरी  ने   घड़े  से  कहा --- " कलश  !  तुम  बड़े  उदार  हो  l  अपने  पास  आने  वाले  प्रत्येक  पात्र  को  भर  देते  हो   l  किसी  को  खाली  नहीं  जाने  देते  l "   कलश  ने  उत्तर  दिया   --- "  हाँ  !  मैं  अपने  पास  आने  वाले  प्रत्येक  पात्र  को  भर  देता  हूँ  ,  मेरे  अंतर  का  सारा  सार   दूसरों  के  लिए  है  l "    कटोरी  बोली ---- " लेकिन  मुझे  कभी  नहीं  भरते   जबकि  मैं  हर  समय  तुम्हारे  सिर  पर  ही  मौजूद   रहती  हूँ  l  "    घड़े  ने  उत्तर  दिया ---- "   इसमें  मेरा  कोई  दोष  नहीं  है  ,  दोष  तुम्हारे  अहंकार  का  है  l  तुम  अभिमान पूर्वक  मेरे  सिर  पर  चढ़ी  रहती  हो  ,  जबकि  अन्य  पात्र   मेरे  पास  आकर  झुकते   हैं   और  अपनी  पात्रता  सिद्ध  करते  हैं   l  तुम  भी  अभिमान  छोड़कर   मेरे  सिर  से  उतर  कर  विनम्र  बहो बनों  , मैं  तुम्हे  भी  भर  दूंगा  l  "