25 January 2022

WISDOM -----

   श्रीमद्भगवद्गीता  में  भगवान  श्रीकृष्ण  कहते  हैं ---- ' जैसे  जल  में  चलने  वाली  नाव  को   वायु  हर  लेती  है  ,  वैसे  ही    विषयों में   विचरती  हुई   इन्द्रियों  में   से  मन  जिस  इन्द्रिय  के  साथ  रहता  है  ,  वह  एक  इन्द्रिय  ही   इस  पुरुष  की  बुद्धि  को  हर  लेती  है  l  '   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' हिरन ,  हाथी ,  पतंगा ,  मछली   और  भौंरा  ,  ये  अपने  - अपने  स्वभाव   के  कारण   पांच  विषयों  में  से  किसी  एक   में  आसक्त  होने  के  कारण   मृत्यु  को  प्राप्त  होते  हैं  ,  तो  इन  पांच  विषयों  से  जकड़ा   हुआ  असंयमी   व्यक्ति  कैसे  बच  सकता  है   ?   इसलिए  मनुष्य  को  बहुत  सावधान  रहना  चाहिए   l   एक  ही  इन्द्रिय  काफी  है  ,  जो  मनुष्य  को  पतन  की  ओर   ले  जा  सकती  है   l  "       पुराण  में  एक  कथा  है  -----  द्धापर   युग  में  एक  असुर  था  ,  उसका  नाम  था  -- शंबरासुर  l   उसने  भगवान  श्रीकृष्ण  के  बड़े  पुत्र  प्रद्युम्न  का  हरण  कर  लिया   था   l   रति  भी  उसी  के  यहाँ  कैद  थी    l   शंबरासुर  पाककला  में    निपुण  स्त्रियों  का  ही  अधिकतर  हरण  करता  था   l   उसकी  पाकशाला   सदैव  सजी   रहती थी  l   उसे  खाने  का  बड़ा  शौक  था   l   वह  चाहता  था  कि   उसकी  पाकशाला   में  बढ़िया  से  बढ़िया  खाना  बने   और  उसे  खिलाया  जाये  l   वह  किसी  स्त्री  की  खूबसूरती  को  नहीं  देखता  था  ,  न  ही  उन्हें  हाथ  लगाता   था   l   उन  स्त्रियों  का  पाककला  में  पारंगत  होना  जरुरी   था  l   प्रद्युम्न  ने  शंबरासुर  को  मारकर   अगणित  स्त्रियों  को  मुक्त  कराया   l   मात्र  एक  इन्द्रिय  ही  उस  असुर  के  पतन  का  कारण  बनी --- सुस्वादु  आहार  का  सेवन   l   दिन - रात  उसी  का  चिंतन