12 December 2019

WISDOM ----- सफलता की कसौटी ---- मानवीय गुण

    सामान्यत:  सफलता  को  एक  मूल्यवान   उपलब्धि  माना  जाता  है   l   प्रत्येक  मनुष्य  सफल  होना  चाहता  है  l  कोई  व्यक्ति  यश  और  सम्मान  को  सफलता  का   आधार  मानता   है   l  कोई  धन  और  पद - प्रतिष्ठा  को  l
  मानवीय  गुणों  से  रहित  सफलताएं    कीर्ति  और  मनुष्य  के  रूप  में  प्रतिष्ठा  नहीं  देतीं  l      लोगों  की  दृष्टि   बाहरी  सफलताओं  पर  ही  अधिक  टिकती  है   l   जिन्हे  धनवान , प्रतिष्ठित   और  पहुँच  वाला  आदमी  मान  लिया  जाता  है  ,  लोग  उसी  के  पीछे  भागने - दौड़ने  लगते  हैं   l   उससे  लाभ  उठाने  के  लिए  प्रयत्नशील  रहते  हैं   l   ये  सभी  उपलब्धियां  मनुष्य  की  महत्वाकांक्षाओं   और  उसके  लिए  किये  जाने  वाले  प्रयासों  का  परिणाम  हैं  l
  लेकिन  महत्वाकांक्षाओं  की  पूर्ति  को  ही  सफलता  की  कसौटी   नहीं  माना  जा  सकता   और  इस  आधार  पर  किसी  को  सफल  और  विभूतिवान   प्रमाणित  नहीं  किया  जा  सकता  l
  सफलता  का  एक  दूसरा  पक्ष  भी  होता  है  कि   व्यक्ति  अपने  मानवीय  गुणों ,  सामाजिक  आदर्शों   और  अपनी  संस्कृति  के  प्रति  कितना  निष्ठावान  है   ?  सफल  तो  अनीति  पूर्वक  कमाने  वाले  ,  अत्याचारी  व  अपराधी  भी  हो  सकते  हैं   l   लेकिन  इस  आधार  पर  उन्हें  सफल  मनुष्य  नहीं  माना  जा  सकता  l
  वस्तुत:  बाहरी   सफलताओं  की  अपेक्षा   नैतिकता   और  दृष्टिकोण  की  उत्कृष्टता   के  आधार  पर  ही   मनुष्य  का  मूल्यांकन   किया  जाना  चाहिए  l
 पं. श्रीराम   शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- " सफलता  के  विभिन्न  स्वरूपों  , यश , प्रतिष्ठा  और  सम्पन्नता  की  कसौटियां  बदलनी  पड़ेंगी    तथा  सद्विचारों , सत्प्रवृत्तियों   एवं   सत्कर्मों  को  उनके  स्थान  पर  प्रतिष्ठित  करना  होगा  l   "