जार्ज बर्नाड शॉ का कथन है ------ " जो व्यक्ति समाज से जितना ले यदि उतना ही उसे लौटा दे तो वह एक मामूली भद्र व्यक्ति माना जायेगा l जो समाज से जितना ले उससे कहीं अधिक उसे लौटा दे तो उसे एक विशिष्ट भद्र व्यक्ति कहा जायेगा और जो अपने जीवनपर्यन्त समाज की सेवा में लगा रहे और प्रत्युपकार में समाज से कुछ भी लेने की इच्छा न रखे तो वह एक असाधारण भद्र पुरुष कहलायेगा l परन्तु जो व्यक्ति समाज का सिर्फ शोषण ही करता रहे और समाज को देने की बात भूल जाये उसे क्या ' जेंटिलमैन ' माना जायेगा ? "
31 July 2021
WISDOM -----
मनुष्य ईर्ष्या , द्वेष , लोभ - लालच आदि दुष्प्रवृतियों में इस प्रकार उलझ जाता है कि मृत्यु को अपने अति निकट देखकर भी वह इनसे मुक्त नहीं हो पाता l एक कथा है ------ दो बाज एक ही पेड़ पर रहते थे l दोनों शिकार मार कर लाते और उसी पेड़ पर बैठकर खाते l एक दिन एक बाज ने साँप पकड़ा और दूसरे के हाथ चूहा लगा l दोनों अधमरे थे l दोनों ने सुस्ताकर खाने के लिए पंजों को ढीला छोड़ दिया l तनिक सा अवसर मिला तो साँप घायल चूहे को निगलने का पैंतरा दिखाने लगा l दोनों बाज बहुत हँसे , वे सोचने लगे देखो इन मूर्ख प्राणियों की हालत , स्वयं मरने जा रहे हैं , पर फिर भी द्वेष का स्वभाव और पाने का लोभ छूटता नहीं l