19 August 2019

WISDOM -----

  एक  बार  विधाता  ने  जय  और  विजय  को  एक  जिम्मेदारी  सौंपी  l  जाओ  !  पता  लगाकर  आओ  कि  धरती  पर  स्वर्ग  का  सच्चा  अधिकारी  कौन  है  l  उनने   सब  ओर  भ्रमण  किया  पर  सभी  को   कामना वश   पूजा - उपासना  में  लिप्त  पाया  l  एक  घनघोर  जंगल  से एक  मार्ग  गुजरता  था   l  वहां  उन्होंने  एक  वृद्ध   को  देखा  जो  दीपक  जलाये  बैठा  था  l  कुछ  जल  के   पात्र    भी  रखे  थे  l  उधर  से  निकलने  वालों  को  वह  रास्ता  भी  दिखाता  और  जल भी  पिलाता  l  सारी  रात  पथिकों को  मार्ग  दिखने  वाले  उस  वृद्ध  से उन्होंने  प्रात:काल  पूछा  --- " आप  प्रात:  की  उपासना  नहीं  करते   ? "  वृद्ध ने  कहा  -- मैं  यह  नहीं  जनता  - " यह  क्या  होती  है  ,  मैं  तो  यह  भी  नहीं   जानता    कि  उपासना  से  स्वर्ग मिलता  है  l मेरी  तो  सारी  रात  राहगीरों  को   राह  दिखाने   में   बीत  जाती है और  दिन  विश्राम  करने  में  l " 
  दोनों  ने  विधाता  के  पास  जाकर सारा  विवरण   सुनाया  , जब  विधाता  इस  वृद्ध  के  विषय  में पढ़ने  लगे  तो  दोनों बोले  --- ' इस  वृद्ध  को  पूजा - उपासना  कुछ  नहीं  मालूम  ,  इसे  छोडिए  l"
विधाता  बोले ---- "  जय - विजय  !  मेरी  द्रष्टि  में  एकमात्र  यही  व्यक्ति  स्वर्ग  का  अधिकारी  है  l  ईश्वर  का  नाम  लेने  की  अपेक्षा  उसकी  व्यवस्था  में  हाथ  बंटाना  अधिक  पुण्य  देता  है  l "