30 September 2013

PEARL

रूस  के  एक  छोटे  से  कसबे  में  1831  में  एक  बच्ची  जन्मी  | हेलेना  नामक  इस  संवेदनशील  बालिका  को  समाज  में  स्त्रियों  की  दुर्दशा  देखकर  रोना  आ  जाता  था  | उन्हें  एक  प्रौढ़  से  जबरदस्ती  विवाह  के  बंधनों  में  बांध  दिया  गया , पर  उस  वातावरण  से  निकल  वे  विश्व  यात्रा  पर  निकल  पड़ीं  | अपना  नाम  रखा--मैडम  ब्लावटस्की  | उन्होंने  न  केवल  काफी  भ्रमण  किया , स्वाध्याय  भी  किया  | नियति  उन्हें  भारत  ले  आई  | यहाँ  के  योगी- सिद्ध  संतों  से  वे  मिलीं  | अज्ञात  की  खोज  को  उन्होंने  अपना  प्रिय  विषय  बना  लिया , उन्होंने  ' सीक्रेट  डॉक्ट्रीन '  नामक  ग्रंथ  लिखा  | वे  लोक  से  परे  परलौकिक  शक्तियों  का  अस्तित्व  मानती  थीं  | बाद  में  जब  वे  1873  में  अमरीका  में  बस  गईं  तो  उनने  अपने  कार्य  को  संस्थागत  रूप  दिया  |' थियोसोफिकल  सोसायटी '  की  उन्होंने  स्थापना  की  | बाद  में  मद्रास  में  अडयार  नदी  के  तट  पर  समुद्र  किनारे  उन्होंने  इसके  अंतर्राष्ट्रीय  कार्यालय  की  स्थापना  की  |
 वे  सच्चे  अर्थों  में  विश्व  नागरिक  थीं  , विश्वबंधुत्व  की  साकार  प्रतिमा  थीं  |