23 February 2019

WISDOM ----- बुराई को रोकना भलाई करने के बराबर है

 इस  संसार  में  अच्छाई  और  बुराई  दोनों  शक्तियां  कार्य  करती  हैं   l  अच्छाई  की  रक्षा  के  लिए  आवश्यक  है  कि  बुराई  का  विरोध  किया  जाये  ,  उसे  नष्ट  किया  जाये  l 
 बुराई  छोटी  है  ,  यह  समझकर  यदि  उसकी  उपेक्षा   की  जाये    तो  वह  क्षय  रोग की  तरह   उस  उपेक्षा  से  उठकर   चुपके - चुपके  अपना  कब्ज़ा  जमाती  है   और  एक  दिन  उसका  पूरा  आधिपत्य  हो  जाता  है   l  बुराइयों  का  आकर्षण    अच्छाइयों  की  अपेक्षा  अधिक  चमकदार  होता  है   , इसलिए  देखा  जाता  है  कि  निर्बल  शक्ति  वाले  प्राय: बड़ी  आसानी  से   बुराइयों  का  प्रलोभन   सामने  आते  ही  फिसल  जाते  हैं    और  उसके  चंगुल  में  फंस  जाते   हैं   l   
  भगवान  ने   गीता  में  अर्जुन  को   "  सदा  युद्ध  में   रत  रहने   का  उपदेश दिया  है   l  यह   सतत  युद्ध  निम्न  वृतियों  के  विरुद्ध  जारी  रहना  चाहिए   l  "   हम   अन्य    आवश्यक  कार्यों  की  तरह  अपनी  बुराइयों  का  नाश  करें  और  अपने  चारों  ओर  फैली  हुई  बुराइयों ,  अन्याय  और  अत्याचार  से  लड़ें   l 
  निर्बल  को  देखकर  हर  किसी  को  आक्रमण ,  अन्याय  और  शोषण  करने  का  लालच  आता  है    इसलिए  ऋषियों  का  मत  है  कि  --- ' न्याय  रक्षा  के  लिए    जहाँ  शक्तिमानो  का  धर्मात्मा  बनना  उचित  है  ,  वहां  दुर्बलों  को  भी  अपना  बल  बढ़ाना  आवश्यक  है    l    गायत्री  मन्त्र  में  ' भर्ग  '  शब्द  का  सन्देश  है  कि   हम  अपना  शारीरिक , बौद्धिक  ,  आर्थिक , चारित्रिक  तथा  संगठन  बल  बढ़ाएं  ,  जिससे  दुर्बलता  तथा  अन्य  हानियों   से  बच  सकें   l