11 August 2018

WISDOM ----- समाज के प्रति अपराध करने वाले को क्षमा नहीं किया जाये ------ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

  जिन  दिनों  डाकुओं  का  आत्मसमर्पण   होना  था  ,  उस  समय  आचार्य  विनोबा  भावे  से  एक  चर्चा  के  दौरान  आचार्य श्री  ने  कहा  था  --   जिसने  अपराध  किया  है  उसे  दंड  मिलना  ही  चाहिए  l  समाज  के  प्रति  अपराध  करने  वाले  को  क्षमा  नहीं  किया  जाये  l    अपराध  को  क्षमा  कर  देने  से  एक  नयी  परिपाटी  जन्म  लेगी   l     माफी  मांगकर  छूट  जायेंगे  ,  यह  सोचकर  दूसरे  लोग  भी  अपराध  में  प्रवृत  हो  सकते  हैं   l  
  विनोबा जी   का  कहना  था  कि   प्राचीनकाल  में  भी  ह्रदय  परिवर्तन  के  बाद  क्षमा  का  विधान  रहा  था  l  वाल्मीकि  और  अंगुलिमाल  इसके  सबसे  बड़े  उदाहरण  हैं  l 
  आचार्य श्री  ने  कहा  कि  वे  घटनाएँ  अपवाद  थीं   l  इसके  अतिरिक्त  उन्होंने  बाद  में  घनघोर  प्रायश्चित  भी  किया  था  l   डाकुओं  को  क्षमा  के  बाद  हम  तो  उन्हें  सम्मानित  जीवन  का  अवसर  दे  रहे  हैं  l   क्षमा  मिल  जाने  के  बाद  डाकू  रहेंगे  तो  समाज  में  ही   l  उनका  रौब - दाब  भी  रहेगा   l  जब  वे  सामान्य  नागरिक  की  तरह  स्वीकार  कर  लिए  गए   तो  भविष्य  में  उनका  राजनीतिक  उपयोग  भी   हो  सकता  है   l  चुनाव  आदि  के  समय     बागियों  के  रौब - दाब  का  इस्तेमाल  अपने  पक्ष  में  वोट  डालने  के  लिए  किया  जा  सकता  है   l  
  इतने    वर्ष  पहले  ( वर्ष  1960 )  में  आचार्य श्री  द्वारा  कही  गई  यह  बात  अक्षरशः  सत्य  है  l  आज  राजनीति  का  अपराधीकरण   हो  गया  है   l  यदि  सत्ता  ऐसे  हाथों  में  है  जिनका  नाम  किसी  न  किसी  अपराधिक  गतिविधि  में  है    तो  कितने  भी  कानून  बन  जाएँ  ,  समाज  में  बढ़ते  हुए  अपराधों   पर  नियंत्रण  रखना  कठिन  है   l