2 February 2023

WISDOM ----

 पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --' मनुष्य  जीवन  की  एक  ख़ास  विशेषता  है  --उसके  द्वारा  किए  जाने  वाले  कर्म   l  अपने  शुभ  कर्मों  के  माध्यम  से   मनुष्य  न  केवल   इस  संसार  में  सुखी  , संतुष्ट , शांतिपूर्ण  जीवन  जीता  है  , बल्कि  अपना  आंतरिक  विकास  कर  के   चेतना  के  उच्च  शिखरों  का  भी  स्पर्श  करता  है  l    यदि  मनुष्य  का  मन  शुभ  कर्मों  की  ओर  नहीं  है  , बुराई  का  साथ  देता  है   तो  अशुभ  कर्मों  का  परिणाम  है --- जीवन  का  अंधकार  से  घिर  जाना  , जिसमें  कुछ  भी  समझ  नहीं  आता , कुछ  भी  दिखाई  नहीं  पड़ता  , एक  अजब  सी  बेचैनी , घबराहट  मन  में  बनी  रहती  है  जो  उसे  सतत   परेशान  करती  है  l  l  चयन  मनुष्य  को  ही  करना  पड़ता  है   कि  वह  किस  राह  पर  चले , शुभ  कर्मों  की  राह  पर  या  अशुभ  कर्मों  की  राह  पर  l '  आचार्य श्री  लिखते  हैं ---कर्म  करने  के  लिए  व्यक्ति  स्वतंत्र  है , वह  जो  चाहे  कर  सकता  है , लेकिन  उसके  परिणाम  से  वह  बच  नहीं  सकता  l  '   वे  आगे  लिखते  हैं ---- 'पतन  एक  सहज   गतिक्रम  है , उठाना  पराक्रम  है   l  अचेतन  की  पाशविक  प्रवृतियां   बार -बार  मनुष्य  को  घसीटकर   विषयी  बनने  की  ओर  प्रवृत्त  करती  हैं  l  यह  मनुष्य  पर  निर्भर  है  कि   वह  इन  पर  किस  प्रकार  अंकुश  लगा  पाता  है   व  प्राप्त  सामर्थ्य  का  सदुपयोग  कर  पाता  है   l -------- रामकृष्ण  परमहंस   कहा  करते  थे --- दो  प्रकार  की  मक्खियाँ  होती  हैं  l  एक  तो  शहद  की  मक्खियाँ  जो  शहद  के  अतिरिक्त  और  कुछ  भी  नहीं  खातीं   और  दूसरी  साधारण  मक्खियाँ  ,  जो  शहद  पर  भी  बैठती  हैं   और  यदि  सड़ता  हुआ  घाव  दिखाई  दे  , तो  तुरंत  शहद  को  छोड़कर   उस  पर  भी  जा  बैठती  हैं  l  इसी  प्रकार  दो  तरह  के  स्वभाव  के  लोग  होते  हैं  l  एक  जो  ईश्वर  में  अनुराग  रखते  हैं  , वे  ईश्वर  चर्चा  के   सिवाय  कोई  दूसरी  बात  करते  ही  नहीं   l  और  दूसरे , जो  संसार  में  आसक्त  हैं  ,  वे  ईश्वर  की  बात  सुनते -सुनते   यदि  किसी  स्थान  पर  विषय  की  बातें  होती  हों  तो  , वे  तुरंत  भगवान  की  चर्चा  छोड़कर  उसी  में  संलग्न  हो  जाते  हैं  l