मानवी व्यक्तित्व एक प्रकार का उद्दान है | उसके साथ अनेक आत्मिक और भौतिक विशेषताएँ जुड़ी हुई हैं, पर उसका लाभ तभी मिलता है, जब उसे ठीक तरह से साधा जाये, संभाला जाये | इस क्षेत्र की सुव्यवस्था के लिये की गई चेष्टा को साधना कहते हैं | साधना का क्षेत्र अंतर्जगत है | हमारे अपने ही भीतर इतने खजाने दबे-गड़े हैं कि उन्हें उखाड़ लेने पर ही कुबेर जितना सुसंपन्न बना जा सकता है |
इंग्लैंड के शल्य-चिकित्सक लार्ड मोनिहन अपने चिकित्सा-कार्य में इतने दक्ष थे कि अनेक दर्शकों के बीच भी वह प्रत्येक आपरेशन बड़ी सफलता के साथ कर लेते थे | एक जिज्ञासु ने उनसे पूछा--" इतनी भीड़ में आप एकाग्रता के साथ आपरेशन कैसे कर लेते हैं ! मैंने तो आपको कभी विचलित होते हुए नहीं देखा | "
चिकित्सक का बड़ा सीधा सा उत्तर था --" जब मैं आपरेशन करता हूँ, उस समय तीन व्यक्ति ही तो होते हैं ---एक मैं, दूसरा रोगी, तीसरा मेरा भगवान, फिर विचलित होने का प्रश्न ही नहीं होता !
इंग्लैंड के शल्य-चिकित्सक लार्ड मोनिहन अपने चिकित्सा-कार्य में इतने दक्ष थे कि अनेक दर्शकों के बीच भी वह प्रत्येक आपरेशन बड़ी सफलता के साथ कर लेते थे | एक जिज्ञासु ने उनसे पूछा--" इतनी भीड़ में आप एकाग्रता के साथ आपरेशन कैसे कर लेते हैं ! मैंने तो आपको कभी विचलित होते हुए नहीं देखा | "
चिकित्सक का बड़ा सीधा सा उत्तर था --" जब मैं आपरेशन करता हूँ, उस समय तीन व्यक्ति ही तो होते हैं ---एक मैं, दूसरा रोगी, तीसरा मेरा भगवान, फिर विचलित होने का प्रश्न ही नहीं होता !