23 May 2019

WISDOM ------ प्रगति और उत्कर्ष की दिशा में किए गए कोई भी प्रयास व्यर्थ नहीं जाते ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आचार्य जी  ने  अखण्ड  ज्योति -- फरवरी  1980  में  लिखा  है ---- ' यदि  संसार  के  सफलतम  और  प्रतिभा संपन्न   व्यक्तियों  पर  प्रयोग  किया  जाये  तो  यह  दावे  के  साथ  कहा  जा  सकता  है  कि  उनकी  उपलब्धि   एक  जीवन  की  देन  नहीं  है  ,  वरन  उसके  पीछे   पिछले  कई  जन्मों  की  साधना - शक्ति  पूंजी  के  रूप  में  जुड़ी  हुई  है  l  उसी  पूंजी  से  सफलता  के  वर्तमान  शिखर  छुए  जा  सके  हैं  l   इसलिए  वर्तमान  जीवन  में  किए  गए  प्रयासों  की   असफलता  के  बारे  में   सोच - सोचकर   निराश  होने  का  कोई  कारण  नहीं  है  l  किसान  बीज  बोता   है   तो  बोते  समय  तो  यही  लगता  है  कि   बीज  व्यर्थ  मिटटी  में  जा  रहे  हैं  , पर  जब  वे  फसल  के  रूप  में  उग  आते  हैं  तो  प्रतीत  होगा  कि  बोये  गए  बीज  व्यर्थ  नहीं  गए  वरन  उनका  निश्चित  परिणाम  प्राप्त  हुआ  l  इसी  प्रकार   प्रगति  और  उत्कर्ष  की  दिशा  में   किये  गए   कोई  भी  प्रयास  व्यर्थ  नहीं  जाते  ,  उनका  परिणाम  आज  नहीं ,  तो  कभी  न  कभी  मिलता  अवश्य  है  l  इसलिए  गीताकार  ने  स्पष्ट  किया  है    जिसका  प्रारंभ  कर  दिया   जाता  है  , उसका  कभी  नाश  नहीं  होता   और  न  ही  परिणाम  में  कोई   उलट - फेर  होता  है  l  इसलिए  परिणम  न  होता  दिखाई  देने  पर  भी  प्रयत्नों  को  शिथिल   नहीं  करना  चाहिए  l  अनवरत  यत्नशील  रहना  चाहिए  कि  साधना  का  फल  निश्चित  रूप  से  मिलेगा   l  '