11 February 2020

WISDOM ------

   पुराण  की  एक  कथा  है   जो  हमें  यह  समझाती   है  कि   सज्जनों  का , सत्पुरुषों  का  तिरस्कार  मत  करो , उन्हें  मत  सताओ ,  क्योंकि  सज्जनों  को  सताकर   कोई  भी  नष्ट  हो  सकता  है ------
  ' नहुष  को  अपने  पुण्य  फल  के  बदले  इंद्रासन   प्राप्त  हुआ  l   वे  स्वर्ग  में  राज  करने  लगे  l   ऐश्वर्य  और  सत्ता   का  मद   जिन्हे  न  आवे  ,  ऐसे  कोई  विरले  ही  होते  हैं  l   नहुष  भी  सत्ता  के  मद  से  प्रभावित  हुए  बिना  न  रह  सके  l    उनकी  दृष्टि  रूपवती  इन्द्राणी  पर  पड़ी  l   वे  उसे  अपने  अंत:पुर  में  लाने  की  विचारणा  करने  लगे   l   प्रस्ताव  उनने  इन्द्राणी  के  पास  भेजा   l   इन्द्राणी  बहुत  दुःखी   हुईं   लेकिन  उन्होंने  विवेक  और  बुद्धि  से  काम  लिया  और  चतुरता  बरती  l    उन्होंने  नहुष  के  पास  संदेश   भिजवाया   कि  वे  सप्त ऋषियों  को  पालकी  में  जोतें  और  उस  पर  चढ़कर  मेरे  पास  आवें  ,  तो  प्रस्ताव  स्वीकार  कर  लूंगी   l 
  आतुर  नहुष  ने   अविलम्ब  वैसी  व्यवस्था  की ,   ऋषि  पकड़  बुलाए ,  उन्हें  पालकी  में  जोता  और  उस  पर  चढ़  कर  बैठ  गए  l  उन्हें  इन्द्राणी  के  पास  पहुँचने  की  जल्दी  थी , सत्ता  का  नशा  था  और  कामांध  भी  थे  ,  ऋषियों  से  कहने  लगे --' जल्दी - चलो '  ' जल्दी  चलो '  l
  दुर्बलकाय  ऋषि   दूर  तक  इतना  भार  ढो  कर  तेज  चलने  में  समर्थ   न  हो  सके  l   अपमान  और  उत्पीड़न   से  क्षुब्ध  होकर  उन्होंने  पालकी  पटक  दी   और  एक  ने  कुपित  होकर  शाप   दे  ही  डाला --- " दुष्ट  !  तू  स्वर्ग  से  पतित  होकर   पुन:  धरती  पर  जा  गिर  l  "  शाप  सार्थक  हुआ  ,  नहुष  स्वर्ग  से  पतित  होकर  मृत्युलोक  में   दीन - हीन   की  तरह  विचरण  करने  लगे  l
  इंद्र   पुन:  इंद्रासन   पर  बैठे   l   उन्होंने  नहुष  के  पतन  की  सारी   कथा  ध्यानपूर्वक  सुनी   और  इन्द्राणी  से  पूछा --- " भद्रे  !  तुमने  ऋषियों  को  पालकी  में  जोतने   का  प्रस्ताव  किस  आशय  से  किया  था  ? "
शची  मुस्कराने  लगीं   और  बोलीं --- "  नाथ ,  आप  जानते  नहीं  ,  सत्पुरुषों  को  सताने  और  उनका  तिरस्कार  करने  से  बढ़कर  ,  सर्वनाश  का   कोई  दूसरा  कार्य  नहीं  l   नहुष  को  उसकी  दुष्टता  समेत   शीघ्र  ही  नष्ट  करने  वाला   सबसे  बड़ा  उपाय  मुझे  यही  सूझा ,  और  वह  सफल  भी  हुआ  l "  देवसभा  में  सभी  ने  शची  से  सहमति  प्रकट   कर  दी  l  सज्जनों  को  सताकर   कोई  भी  नष्ट  हो  सकता  है ,  फिर  नहुष  ही  इसका  अपवाद  कैसे  रहता   ?