3 February 2019

WISDOM ---- महान आत्माएं अपनी मृत्यु से भी संसार को शिक्षा देती हैं

  संत  सुकरात  को  वहां  के   कानून  से  मृत्यु दंड  की  सजा  दी  गई  l    सुकरात  के  शिष्य  अपने  गुरु  के  प्राण  बचाना  चाहते  थे  l  उन्होंने  जेल  से  भाग  निकलने  की  एक  सुनिश्चित  योजना  बनाई   और  उसके  लिए  सारा  प्रबंध  भी  कर  लिया  l  प्रसन्नता  भरा  समाचार  देने   और  योजना  समझाने  को  उनका  एक  शिष्य  जेल  पहुंचा  और  सारी   व्यवस्था  उन्हें  कह  सुनाई  l  शिष्य  को  आशा  थी  कि  प्राण  रक्षा  का  प्रबंध  देखकर  गुरु  प्रसन्न  होंगे  l  सुकरात  ने  सारी  बात  सुनी  और  दुखी  होकर  कहा  ---- " मेरे  शरीर  की  अपेक्षा  मेरा  आदर्श  श्रेष्ठ  है  l मैं  मर  जाऊं  और  मेरा  आदर्श  जीवित  रहे ,  वही  उत्तम  है  , किन्तु  यदि  आदर्शों  को  खोकर  जीवित  रहा   तो  वह  मृत्यु  से  भी  अधिक   कष्टकारक  होगा  l  न  तो  मैं  सहज  विश्वासी    जेल  कर्मचारियों   को  धोखा  देकर   उनके  लिए  विपत्ति  का  कारण  बनूँगा   और  न  जिस देश  की  प्रजा  हूँ ,  उसके  कानून  का  उल्लंघन  करूँगा   l  कर्तव्य  मुझे  प्राणों  से  भी  अधिक  प्रिय  है  l  ' 
   योजना  रद्द  करनी  पड़ी   l  सुकरात  ने  हँसते  हुए   विष  का  प्याला  पिया  और  मृत्यु  का  संतोष  पूर्वक  आलिंगन   करते  हुए  कहा  ----- " हर  भले  आदमी   के  लिए  यही  उचित  है  कि   वह  विपत्ति  आने  पर  भी   कर्तव्य  धर्म  से  विचलित  न  हो   l  "