18 December 2019

WISDOM ----- समाज या राष्ट्र व्यक्ति की नैतिक शक्तियों पर ही पनपता है ---- पं . श्रीराम शर्मा आचार्य

  मानव  में अनेक सद्गुण  जैसे सत्य,अहिंसा,अक्रोध आदि होते  हैं l   सारे सद्गुणों की शक्ति का स्रोत निर्भयता है, जिस व्यक्ति के जीवन में भय है , वह  सत्य का पालन नहीं कर सकता, न वह अहिंसा का उपासक हो सकता है , न क्रोध को वश में रख सकता है। निर्भयता वह शक्ति है  जो व्यक्ति  को  जीवन के हर क्षेत्र में नीतिमय बनाये रखने में मदद करती है  l
   आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' नैतिकता  यदि  विवेक  पर  आधारित  है   तो  वह  आत्मशक्ति  प्रेरित  नैतिकता  होगी  और  विश्व व्यापी  होगी  l  इस  नैतिकता  में  निर्भयता  होगी   l    जैसे  यदि  कोई  व्यक्ति  अन्याय  के  प्रतिकार  में   कोई  गलत  कदम  उठा  लेता  है  तो  उसकी  विवेक शक्ति इतनी  बलवान  होगी  कि   वह  अपनी  इस  गलती  को  स्वीकार  करेगा   l
  लेकिन  यदि   नैतिकता  धर्म  और  राजसत्ता  से  प्रभावित  है  तो  वह  नैतिकता  भय प्रेरित  होगी  l
 भय युक्त   नैतिकता  की  आड़  में   मनुष्य  छिपकर  अनुचित  कार्य  करता  है  ,  अनुचित  कार्य  करने  पर  वह  व्यक्ति  असत्य  का  आश्रय  लेता  है    और  जब  सारा  समाज   असत्य  की  बुनियाद  पर  नीतिमान  बनने  का  दावा  करता  है  ,  तब   अनीति    सर्वव्यापी  बन  जाती  है  ,  तब   सम्पूर्ण   समाज   में  नैतिक  पतन  का  दृश्य  दिखाई  देने  लगता  है  l '
  आचार्य श्री  का  कहना  है  --- यदि  स्वस्थ  समाज  का  नव - निर्माण  करना  है ,  तो  नैतिक  शक्ति  की  बुनियाद  पर  ही  ऐसा  हो  सकेगा   l