8 April 2024

WISDOM -----

   एक  युवक  ने  भगवान  बुद्ध  से  दीक्षा  ली  l  इससे   पूर्व    वह  सुख -भोग  में  पला  था   और  संगीत  की  सभी  विधाओं  में  पारंगत  था   l   अचानक  ही  उसे  वैराग्य  हो  गया   और  वैराग्य  भी  ऐसा  कि  उसने  अति  कर  दी  l  सब  भिक्षु  मार्ग  पर  चलते  तो  वह  काँटों  पर   जानबूझ  कर  चलता  l  अन्य  भिक्षु  समय  पर  सोते  लेकिन  वह  रात  भर   जागता  l  सब  भोजन  करते  , वह  उपवास  करता  l   इस  तितिक्षा  के  कारण  छह  माह  में  उसका  शरीर   सूख  कर  काँटा  हो  गया  ,  पैरों  में  छाले  पड़  गए   l  तप -तितिक्षा  की  उसने  अति  कर  दी  l  एक  दिन  भगवान  बुद्ध  ने  उसे  बुलाकर  पास  बिठाया  और  पूछा  ---- "  तुम  तो  यहाँ  आने  से  पहले  संगीत  के  अच्छे  ज्ञाता  रहे  हो  ,  यह  बताओ  कि  वीणा  से   मधुर  ध्वनि   निकले  , इसके  लिए  क्या  किया  जाता  है  ? "    युवक  ने  उत्तर  दिया ---- "  तारों  को  संतुलित  रखा  जाता  है  l "   बुद्ध  बोले ---- "  भंते  !  यही  साधना  में  भी  किया  जाता  है  l  शरीर  भी  वीणा   के  समान  है  l  वीणा  के  तारों  को  इतना  मत  कसो  कि  वे  टूट  जाएँ  ,  और  इतना  ढीला  भी  मत  छोड़ो  कि  वे  बजना  ही  छोड़  दें  l  यदि  इसे  समत्व  की , संतुलन  की  स्थिति  में  रखोगे   तो  साधना  सिद्धि  में  परिणत  होगी  l  "  युवक  की  समझ  में  मर्म  आ  गया  ,  जीवन  का  कोई  भी  क्षेत्र  हो   उसमें  संतुलन  जरुरी  है  l