4 November 2019

WISDOM ----- सृष्टि में मात्र कर्मफल का सिद्धांत ही अकाट्य है

  किसी  भी  व्यक्ति  के  कर्म  को  काल  नियंत्रित  करता  है  l   अपने  समय  से  पहले  न  तो  किसी  को  अपने  कर्मों  का  फल  भोगना  होता  है ``और  न  समय  के  जाने  के  बाद   उसको  भोगना  शेष  रहता  है  l  इस  सृष्टि  में  कभी  किसी  के  साथ  पक्षपात  नहीं  होता  l   सभी  अपने  कर्मों  के  अनुसार  फल  भोगते  हैं  l   भगवान   श्रीकृष्ण  जो  स्वयं  लीला पुरुषोत्तम  हैं   l  अपने  स्पर्श मात्र  से  दूसरों  का  कल्याण  करते  हैं  ,   उन्होंने    भी   ' जरा '  नामक  बहेलिया  का  विषबुझा    तीर  लगने  से    अपने  शरीर  को  छोड़ा  l
  यह  भी  उनका  पिछला   भोग  था  l   इसके  पहले  जन्म  में  जब  वे  रामावतार  के  रूप  में  आये  थे   तो  उन्होंने  छिपकर  बालि   पर  तीर  चलकर   उसे  मारा  था  l  भले  ही  उनके  इस  कर्म  के  पीछे  सुग्रीव  का  हित   था  ,  लेकिन  उन्हें  कर्मफल  भोगना  पड़ा  l उसी  बालि   ने  ' जरा '  नाम  के  बहेलिये  के  रूप  में  छिपकर  उनके  ऊपर  यह  समझकर   तीर  चलाया  कि   जंगल  में  वहां  कोई  जानवर  है  l   इस  तरह  भगवान   श्रीकृष्ण  का  भोग  पूरा  हुआ  l