1 February 2022

WISDOM -----

     आज  हम  वैज्ञानिक  युग  में  जी  रहे  हैं  ,   यंत्रों  के  साथ   रहने  से  मन  भी  यंत्रवत  हो  गया  है  l   धर्म  के  नाम  पर  जितने  झगड़े ,  दंगा - फसाद  इस  युग  में  हुआ  ,  उतना  पहले  कभी  नहीं  हुआ   l   कहा  तो  यही  जाता  है  कि   महाभारत  -- धर्म  और  अधर्म  के  बीच  युद्ध  था  ,  जो  धर्म  पर  था  वह  विजयी  हुआ  l   लेकिन  जो  युद्ध  कर   रहे  थे   , वे  सब  भाई - भाई  थे  ,  एक  ही  जाति   के  थे  l   इसी  तरह   राम - रावण  के  बीच  युद्ध  भी   धर्म  और  अधर्म  के  बीच  था  l   रावण  तो  परम  शिवभक्त  था , महापंडित ,  वेद - शास्त्रों  का  ज्ञाता  था   , फिर  भी  वह  अधर्मी  था  , उसी  की  तरह  आसुरी  प्रवृति  के  उसके  साथी  थे  l  भगवान  राम  धर्म  के  रथ  पर  सवार  थे  , उनकी  सेना  में  नर , वानर , भालू , रीछ  सब  थे   l  जाति   के  आधार  पर  कोई  विवाद  नहीं  था  ,  अनीति  ,   अत्याचार  और  अन्याय  को  मिटाने   के  लिए  युद्ध  था   l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं  ----- ' धर्म  का  मर्म  है  ----- अन्याय  का  प्रतिकार  ,  अनीति  का  विरोध  एवं   आतंक  का  उन्मूलन  l   धर्म  की  सार्थकता  प्रकृति   का  पोषण  करने  में  है    और   कमजोर  व  दीन - दुःखियों   के  पीड़ा  और  पतन  निवारण  में  है   l  "  मनुष्य  पर  दुर्बुद्धि  का    प्रकोप  है ,  स्वार्थ , लोभ , लालच    ऐसा  हावी  है      कि   वह  धर्म  के  मर्म  को  नहीं  समझता    और  अपनी  सारी   ऊर्जा     व्यर्थ  के   झगड़ों   में  व्यय  कर  देता  है  जिनका  कोई  सकारात्मक  परिणाम  भी  नहीं  निकलता   l   सत्य  तो  यही  है   कि   महाभारत  की  तरह  अत्याचार , अन्याय , उत्पीड़न    परिवार  से  ही  शुरू  होता  है   जैसे  भीम  को  जहर  देकर  तालाब  में  फेंक  दिया , लाक्षागृह  में  पांडवों  को  जलाने   का  प्रयास ,  फिर  द्रोपदी  का  अपमान  ---- यही  अत्याचार , अपमान , अन्याय   ने  युद्ध  का  रूप  ले  लिया   l    जिनकी  धर्म  में  रूचि  है   वे  जहाँ  हैं  वहीँ  अत्याचार , उत्पीड़न  को  रोकें   तभी  वे  सच्चे  धार्मिक  होंगे   l